सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: देशद्रोह की धारा का निलंबन, नए मामले दर्ज न करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आज देशद्रोह की धारा पर रोक लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद कानून पर रोक लगा दी और नए मामले दर्ज करने पर रोक लगा दी।

मामले की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह में होगी। तब तक केंद्र सरकार से इस मामले पर दोबारा विचार करने को कहा गया है। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी कर सकती है।

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से यह भी कहा कि जब तक दूसरा स्पष्ट कानून ना आये तब तक पुलिस अधिकारी देशद्रोह के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण बताएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक कानून पर पुनर्विचार नहीं हो जाता तब तक वैकल्पिक समाधान संभव है।

आंकड़ों के बारे में सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “ये जमानत खंड हैं। अब सभी लंबित मामलों की गंभीरता का विश्लेषण या आकलन करना मुश्किल है।”

वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए अदालत के समक्ष मांग की कि देशद्रोह कानून को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

इन सभी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना सर्वोपरि है। इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है। यहां तक ​​कि अटॉर्नी जनरल ने भी अपने विचार में इसे स्पष्ट किया है।

तीन जजों की बेंच फिलहाल देशद्रोह की धारा पर सुनवाई कर रही है। पीठ में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली शामिल हैं।

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