तालिबान के राज में महिलाओं के अधिकार ख़त्म, विरोध में सड़कों पर उतरीं महिलाएं

अफगानिस्तान में महिला अधिकार कार्यकर्ता तालिबान के एक नए आदेश के विरोध में काबुल में सड़कों पर उतर आई हैं। तालिबान के फरमान के तहत महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनना अनिवार्य है। फरमान का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को भी तालिबान ने निशाना बनाया है। धमकी के बावजूद महिलाओं ने राजधानी की सड़कों पर मार्च किया और फरमान के खिलाफ न्याय की मांग की है।

लेकिन न्याय शब्द अफगानिस्तान में कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि तालिबान और अन्याय एक दूसरे के पर्याय हैं। वहां सब कुछ बंदूक की नोक पर होता है। आतंकवादियों की जबरदस्ती बनाई गई सरकार से कुछ और उम्मीद भी क्या हो सकती है।

तालिबान ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं से कहा कि अगर एक कदम आगे बढ़े तो वह 40 राउंड फायर करेगा। तालिबान द्वारा 7 मई को जारी एक फरमान में कहा गया है कि महिलाओं को सिर से पैर तक घूंघट पहनना चाहिए।

ज्यादातर अफगान महिलाएं सिर पर स्कार्फ पहनती हैं, लेकिन काबुल जैसे शहरी इलाकों में कई महिलाएं अपना चेहरा नहीं ढकती हैं। इस आदेश का उल्लंघन करने पर महिला के पति या पिता को दंडित किया जाएगा। उन्हें जेल या बर्खास्त किया जा सकता है। इस फरमान को लेकर पूरे देश में आक्रोश है।

आदेश पर चर्चा के लिए गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक होगी। तालिबानी सरकार जब अफगानिस्तान में वापस आई थी जब कट्टरपंथी तालिबान ने कहा कि वह महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाएगा। अब वह एक के बाद एक महिलाओं को बैन कर रहे हैं।

इससे पहले, तालिबान ने विश्वविद्यालयों और स्कूलों में सह-शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था। महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया है, महिलाएं गाड़ी नहीं चला सकती, और अब महिलाओं को बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रहा है।

SHARE