कुतुब मीनार एक प्राचीन वेधशाला है जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक पूर्व अधिकारी ने कुतुब मीनार को लेकर बड़ा दावा किया है। इस दावे के अनुसार कुतुब मीनार का निर्माण 5वीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। स्मारक का उद्देश्य सूर्य की बदलती गति का निरीक्षण करना था। तो यह कोई मीनार नहीं बल्कि एक सूर्य मीनार है।

कुतुब मीनार थोड़ी ढलान वाली है। झुकाव लगभग 25 इंच है। 21 जून को टावर को आधे घंटे तक धूप नहीं मिली। इस स्मारक का उद्देश्य इसे एक वेधशाला की तरह दिखाना प्रतीत होता है। कुतुब मीनार एक बहुत ही अलग प्रकार की संरचना है और इसके आसपास कोई मस्जिद नहीं है। कुतुब मीनार का द्वार उत्तर की ओर है, जिसका उद्देश्य ध्रुव तारे को देखना था।

उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने दावे के बारे में सबूत और सबूत पेश करने के लिए तैयार हैं। कुतुब मीनार को लेकर दावे से ऐसे समय में जिज्ञासा पैदा हुई है जब काशी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह दावा एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने किया है। एक एएसआई ने कई सर्वे भी किए। उनके अनुसार, कुतुब मीनार का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था, न कि कुतुब अल-दीन ऐबक ने।

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