अमरनाथ गुफा के पास नहीं टूटे बादल जबकि अमरनाथ गुफा के पास हुए हादसे के लिए बादल फटने को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जिसमें 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 40 से अधिक लापता हो गए। लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि वह इस घटना से सहमत नहीं है। वहीं, मौसम विभाग ने इसे स्थानीय घटना बताया।
श्रीनगर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष सोनम लोटस ने कहा कि पवित्र गुफा के ऊपर एक बादल था जिससे अचानक भारी बारिश हुई लेकिन यह अचानक बाढ़ नहीं थी।
दरअसल, आईएमडी मानक के मुताबिक इसे बादल फटना तभी कहा जाता है, जब एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार से बमुश्किल 200-300 मीटर की दूरी पर दो चट्टानों के बीच पानी और मलबा बहुत तेजी से बहता दिख रहा है।
आईएएनएस के अनुसार, सेवानिवृत्त मौसम विज्ञानी आनंद कुमार शर्मा, जो एमडी में उत्तर भारत के अध्यक्ष हैं, का कहना है कि गुफा के सामने बारिश नहीं हुई, लेकिन कहीं ऊपर की ओर हुई होगी। जिसका पानी नीचे बह गया हो। “पहाड़ों में पहले से वर्षा की भविष्यवाणी करना मुश्किल है,”
इस तथाकथित बादल फटने की घटना के बाद सरकार ने अमरनाथ यात्रा को रोक दिया है।
अमरनाथ के बाद भारी बारिश ने केदारनाथ यात्रा में भी बाधा डाली। शुक्रवार शाम को हुई भारी बारिश के चलते केदारनाथ यात्रा पर रोक लगा दी गई है। भारी बारिश के चलते केदारनाथ यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।
प्रशासन ने यह फैसला भारी बारिश को देखते हुए लिया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन का कहना है कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए किसी अप्रिय घटना की आशंका के बीच सोनप्रयाग से केदारनाथ यात्रा रोक दी गई है।