आगरा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव के अनुसार मंकी पॉक्स पशु जनित बीमारी है। उन्होंने बताया कि मंकी पौक्स हमारे देश में दस्तक दे चुका है जिसकी शुरुआत भारत में दो केस केरल में मिलने से हो चुकी है। इससे बचने के लिए सावधानियां बरतनी पड़ेगी तभी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
मंकी पोक्स पशु जनित वायरल रोंग है जो कोरोना वायरस जैसा खतरनाक तो नहीं, लेकिन इसका फैलाव कोविड से कई गुना तेज है। खांसी और सर्दी ही नहीं, यह संक्रमित के कपड़ों से भी हो सकता है। कोरोना का संक्रमण होने के बाद लक्षण 3 दिनों में दिखाई देता है। लेकिन मंकी पॉक्स में संक्रमण के 21 दिन बाद लक्षण दिखाई देता है। ऐसे में अधिक संख्या में लोगों के संक्रमित होने का खतरा होता है।
मंकी पोक्स बीमारी से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि यह 2 से 4 सप्ताह में स्वत: ठीक हो जाता है। कोविड की तरह यह जानलेवा या खतरनाक नहीं है। इसकी रोकथाम 100 प्रतिशत इफेक्टिव है | संक्रमित व्यक्ति से हमेशा दूर रहना चाहिए।
ऐसे संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरुरी साफ सफाई है, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति से कोई संम्पर्क या फिर उसकी लार या शरीर के अन्य पदार्थ टच होना खतरा है। कटी त्वचा, आंख, नाक, मुंह से भी हो सकता है। शारीरिक संबंध बनाने से भी मंकी पॉक्स हो सकता है। इतना ही नहीं संक्रमित रोगी का इस्तेमाल किया हुआ कपड़ा, तौलिया से भी मंकी पॉक्स का संक्रमण हो सकता है।
इसमें लाल निशान, लाल कलर के धब्बे चेहरे पर हाथ पांव पर होता है | दाग धब्बे आगे चलकर छाले जैसे हो जाते हैं। बाद में यह काली परत की तरह हो जाते हैं। इसमें बुखार थकान, मांस पेशी और सर दर्द के साथ कमर में दर्द होता है। बुखार के लिए पैरासिटामोल और एंटी वायरल दवा लेनी होती है।
मंकी पोक्स से संक्रमित होने पर क्या करें –
**संक्रमित व्यक्ति को ट्रिपल लेयर मास्क का उपयोग करना चाहिए |
** समय-समय पर हाथो को पानी और साबुन से साफ़ करते रहना चाहिए |
** पोष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए |
** मरीज को अपने शारीर के घावों को ढक कर रखना चाहिए |
** बुखार आने पर पेरासिटामोल टेबलेट ले सकते है |
** पर्याप्त मात्रा में पानी पिए और ओ.आर.एस. का प्रयोग कर सकते है |
मंकी पौक्स से सम्बन्धित किसी भी आवश्यक जानकारी एवं सहायता के लिए आप मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के नियन्त्रण केंद्र के फौन नंम्बर 0562 – 2600412 एवं मोबाइल नं 9458569043 पर 24 घन्टे सम्पर्क कर सकते हैं ।
यह जानकारी श्री अमित कुमार, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, आगरा द्वारा दी गई है।