देरी होने से बुलेट ट्रेन परियोजना की लागत 50 हजार करोड़ रुपए बढ़ जाएगी

भारत की पहली बुलेट ट्रेन की परियोजना लागत, जिसका अनुमान 1,08,000 करोड़ रुपये था, अब भूमि अधिग्रहण की उच्च लागत, निर्माण सामग्री की बढ़ती लागत और जापानियों के मुद्रा, येन अवमूल्यन के कारण बढ़कर 1,67,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

शुरुआत में बुलेट ट्रेन परियोजना को 2023 में पूरा करने की योजना थी, लेकिन कई बार समय सीमा बढ़ाने के बावजूद यह परियोजना 2028 के बाद ही पूरी होती दिख रही है।

हालांकि, परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने कहा कि परियोजना की लागत का एक नया अनुमान सभी अनुबंध दिए जाने और भूमि अधिग्रहण पूरा होने के बाद ही लगाया जा सकता है।

2017 में शुरू हुई इस परियोजना के लिए 100 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण दादरा और नगर हवेली में ही किया जा सका। गुजरात में 98.9 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण और महाराष्ट्र में बमुश्किल 73 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण हुआ है।

सरकार ने अब पहले चरण के लिए 2026 की समय सीमा तय की है। इस चरण में सूरत और बिलिमोरा के बीच केवल 49 किमी की दूरी शामिल है। सरकार ने पूरी परियोजना को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है। लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के काम में तेजी आएगी।

परियोजना को लागू करने वाली कंपनी ने 28,442 करोड़ रुपये खर्च किए हैं जो मूल परियोजना लागत का लगभग 25 प्रतिशत है। जापानी एजेंसी जेआईसीए द्वारा परियोजना लागत का 80 प्रतिशत येन में आसान ऋण के रूप में प्रदान किया जा रहा है।

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