अपहरण मामले में वांछित कार्तिकेय सिंह को बिहार के कानून मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। 16 अगस्त को उन्हें कोर्ट में सरंडर करना था लेकिन उसने इसकी बजाय राजभवन जाकर मंत्री पद की शपथ ली। कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर उसके खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी कर दिए हैं।
बिहार में नई कैबिनेट का गठन तो हो गया है लेकिन पहली खेप ने ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए मसखरे जैसी स्तिथि बना दी है। बीजेपी नेता सुशील मोदी बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि बिहार कैबिनेट में कानून मंत्री बनाए गए कार्तिकेय सिंह खुद अपहरण मामले में वांछित हैं।
इस मुद्दे पर जब नीतीश कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। जिस पर सुशील मोदी ने कहा है ये कैसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हे नियुक्त किये जा रहे मंत्री का प्रोफाइल ही नहीं मालूम। फिर भी यदि अगर नीतीश कुमार को पहले नहीं पता था, अब उन्हें पता चला है तो उन्हें कार्तिकेय सिंह को कैबिनेट से हटा देना चाहिए।
कार्तिकेय सिंह बिहार के बाहुबली अनंत सिंह के दाहिने हाथ हैं और उन्होंने उन पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है और मुझे अब लोगों के लिए काम करना है। मैं एक सरकारी शिक्षक था और 2015 में वीआरएस लिया था। मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।
इससे पहले सुशील मोदी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था कि कार्तिकेय सिंह को 16 अगस्त को सरेंडर करना था क्योंकि वह अपहरण के एक मामले में वांछित था, लेकिन सरेंडर करने के बजाय वह मंत्री पद की शपथ ले रहा था। क्या नीतीश कुमार को यह भी नहीं पता कि मुख्यमंत्री जब किसी को मंत्री की शपथ दिलाते हैं तो पुलिस सत्यापन भी होता है।