रांची तक लगाई दौड़, ठीक हुए धोरैया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दवा से

 -धोरैया प्रखंड के मो. इम्तियाज टीबी को मात देकर जी रहे हैं स्वस्थ जीवन-जांच-इलाज से लेकर दवा तक मिली मुफ्त, इलाज के वक्त राशि भी दी गई

 बांका, 18 अगस्त- धोरैया प्रखंड के नानट पैट के रहने वाले मो. इम्तियाज पिछले साल टीबी के चपेट में आ गए थे। एक जुलाई 2021 को जैसे ही उन्हें पता चला वे काफी परेशान हो गए। घरवाले चिंतित रहने लगे। पहले भागलपुर के नामी डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए गए। वहां से फिर रांची के प्रतिष्ठित रिम्स में इलाज कराने के लिए चले गए।

रांची में जब वह इलाज के लिए गए तो वहां पर उन्हें समझाया गया कि टीबी को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज बहुत ही आसान हो गया है।  वह भी आप अपने सबसे नजदीकी  स्वास्थ्य केंद्र में जाकर इलाज करवा सकते हैं। सरकार 2025 तक टीबी को समाप्त करने की ओर अग्रसर है, इस वजह से टीबी का इलाज सभी तरह के सरकारी अस्पतालों में संभव है। इसके लिए रांची तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं है।

इसके बाद इम्तियाज घर आ गए और धोरैया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए, जहां पर उनकी मुलाकात लैब टेक्नीशियन शंभूनाथ झा से हुई। शंभूनाथ झा ने जब जांच की तो इम्तियाज को टीबी होने की पुष्टि हुई और इसके बाद इलाज शुरू हुआ। अब इम्तियाज पूरी तरह से ठीक हैं। उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है। 

पूरी तरह से मुफ्त रहा मेरा इलाजः इम्तियाज कहते हैं कि शुरुआत में तो मैं काफी डर गया था, इसलिए मैं बड़े-बड़े डॉक्टर और बड़े अस्पताल इलाज कराने के लिए जा रहा था। हालांकि सभी जगहों पर मुझे यही बताया गया कि टीबी का इलाज हर स्तर पर हो रहा है। अगर आप नियमित तौर पर दवा का सेवन करेंगे तो बहुत जल्द ही इससे उबर जाएंगे। इसके बाद धोरैया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गया। वहीं से मैंने अपना इलाज करवाया। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है।

मेरे इलाज में सरकार की तरह से पूरी सहायता मिली। न तो इलाज और जांच के लिए पैसे लिए गए, बल्कि जब तक मेरा इलाज चला, तब तक मुझे पांच सौ रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी मिली। इसके लिए मैं सरकार के प्रति शुक्रगुजार हूं।

निजी अस्पताल से भी मरीज को भेजा जाता है सरकारी अस्पतालः लैब टेक्नीशियन शंभूनाथ झा कहते हैं कि ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं जो टीबी का नाम सुनकर ही घबरा जाते हैं और बड़े डॉक्टर और अस्पताल का रुख करने लगते हैं। लेकिन संतुष्टि की बात यह है कि वहां से भी उन्हें सरकारी अस्पताल जाने की ही सलाह मिलती है। जब टीबी के मरीज सरकारी अस्पताल में आकर इलाज करवाते  तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। इम्तियाज भी जब मेरे पास आए तो मैंने उन्हें यही समझाया कि आप जल्द ठीक हो जाएंगे। इम्तियाज ने नियमित तौर पर दवा का सेवन किया और अब वह बिल्कुल ही ठीक हैं।

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