अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो अंतरिक्ष मिशन में लंबी और अमिट गाथा लिखने जा रहा है।
भारत ने पहले प्रायोगिक उपग्रह आर्यभट्ट के 19 अप्रैल, 1975 को प्रक्षेपण के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इसरो के आने वाले मिशन राष्ट्र की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएंगे और वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इसरो मौसम विज्ञान, संचार, टेली-एजुकेशन और टेलीमेडिसिन जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में मानव जाति की बेहतरी के लिए पुरजोर कोशिश कर रहा है।
इसरो के कुछ ऐसे ही मिशन्स के बारे में जानकारी हम आपको दे रहे हैं
- आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन बनने जा रहा है। 400 किलोग्राम के उपग्रह को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लग्रांगियन प्वाइंट 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
- चंद्रयान -3 इसरो का प्लान किया गया तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है। इसमें चंद्रयान -2 के मिशन को ही दोहराया जाएगा. हालांकि, चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा।
- गगनयान प्रोग्राम भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है. इसरो का लक्ष्य इसके तहत मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है।
- गगनयान का दूसरा मानव रहित मिशन 2022 के अंत में अमल में लाया जाएगा. गगनयान 2 का अंतरिक्ष यान मानव-रोबोट व्योमित्र को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
- गगनयान 3 यानी पहले चालक दल वाला गगनयान मिशन 2023 में लॉन्च किया जाएगा। इसकी सफलता के बाद सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत स्वतंत्र रूप से मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने वाले चौथे देश की श्रेणी में आ जाएगा।
- शुक्रयान -1 भी इसरो एक योजनाबद्ध मिशन है. इसका उद्देश्य शुक्र की सतह और वातावरण का अध्ययन करना है।
- मंगलयान -2 या मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 इसरो का ग्रहों के बीच का दूसरा मिशन है. इसके 2025 में लॉन्च होने की उम्मीद है।
- एस्ट्रोसैट-2 एक खगोल विज्ञान (Astronomy) के अध्ययन के लिए पूरी तरह से समर्पित पहला भारतीय उपग्रह है।
- लूनर पोलर मिशन जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी और इसरो का एक संयुक्त रोबोटिक चंद्र अन्वेषण मिशन है।
- नासा -इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार- निसार, नासा और इसरो के बीच पृथ्वी के अवलोकन का एक संयुक्त मिशन है।