भगवान शिव एससी/एसटी हो सकते हैं यह कहने पर जेएनयू के चांसलर पर महाभियोग चलाने की मांग

नई दिल्ली तिथि। 25 अगस्त

भगवान शिव भगवान शिव एससी/एसटी हो सकते हैं यह बयान एक उच्च शिक्षित महिला द्वारा दिल्ली में दिया गया है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी के हिंदुओं के भगवान शंकर के बारे में दिए गए बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मानवशास्त्रीय रूप से’ देवता ऊंची जाति के नहीं हैं और यहां तक ​​कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से हो सकते हैं।

इस मामले में लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने जेएनयू के चांसलर के खिलाफ लोनी थाने में शिकायत लिखी है। उन्होंने चांसलर के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) यानी रासुका लागू करने की मांग की है।

नंदकिशोर ने अपनी शिकायत में लिखा है कि सोमवार को जेएनयू में एक व्याख्यान के दौरान कुलपति ने हिंदू देवी-देवताओं को जातियों में बांटने का निम्न स्तर का प्रयास किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार ईश्वर जाति, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर के बंधनों से अलग है।

भाजपा विधायक ने शांतिश्री धूलिपुडी के बयान को हिंदू धर्म की एकता को तोड़ने वाला बयान करार दिया और उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

विवाद के बाद शांतिश्री धूलिपुडी ने अपना पक्ष रखा और कहा कि वह केवल बीआर अंबेडकर के विचार को परिभाषित कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अकादमिक व्याख्यानों के राजनीतिकरण पर भी सवाल उठाए।

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