शिक्षा के साथ आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण भी आवश्यक।
लेखक – गुरुजी भू
मैं सदैव कहता हूँ कि “दुर्घटनाएं हमेशा नही होती लेकिन सचेत हर पल रहना चाहिए”।
यह आलेख जनसाधारण के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे कृपया अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य, मित्र मण्डली और विशेषकर बच्चों को अवश्य पढ़ाएं और समझाएं।
प्रति वर्ष गाँव, नगरों, महानगरों में आग की दुर्घटना होती है, जिसमें बहुत सारे लोग मारे जाते है। जान माल की हानि होती है। जानते हैं क्यों? आज मैं आपको बताता हूँ। क्योंकि लोगों को बचाव की जानकारी नही होती। हमारे यहाँ बच्चों को सारे दिन टीवी तो दिखा सकते हैं, लेकिन उन्हे जीवन में अचानक आने वाली आपदाओं जैसे आग, बिजली करन्ट, बाढ़, भूकम्प, यातायात, दुर्घटना, भगदड आदि जैसी अनेकों विपदाओं से बचने के उपायों का प्रशिक्षण नही दिया जाता हैं। जो अत्यन्त आवश्यक है। इसी तरह अन्य रोगों की प्राथमिक चिकित्सा भी बच्चों को सिखानी चाहिए।
अत्यधिक कष्टदायक, दिल दहला देने वाली, हृदय विदारक मानवता को लज्जित करती घटना अभी (24.05.2019) सूरत (गुजरात) के एक कोचिंग सेंटर में आग की दुर्घटना हुई, जिसमें कई बच्चों की जान इस अज्ञानता और भगदड़ के कारण चली गई। यदि उन्हें इन सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी होती तो शायद इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की जान न जाती।
दूसरी बात ये है कि अगर लोग वीडियो ना बनाकर बच्चों को बचाने में लगते तो भी इतनी जान ना जाती।
इसलिये वीडियो से पहले दूसरो की जान बचाओ। वीडियो बनाने वाले लोग भी उतने ही दोषी है जितने अग्निशमन वाले या भवन निर्माण वाले।
याद रखें, आग लगने की स्थिति में अधिकतर मौतें शरीर में धुआं जाने से होती हैं, जबकि आग के कारण कम होती हैं। आग तो बाद में जलाती है।
अगर आपको आग लगने के सुरक्षा उपायों के बारे में पता ही नहीं होगा तो आप इधर से उधर भागने लगेंगे और आपके फेफड़ों में धुआं भर जायेगा और कुछ समय में ही बेहोशी के बाद मौत की सम्भावना।
उस कठिन समय में अर्थात आग लगने की स्थिति में हम लोग धैर्य से काम नहीं लेते हैं और इधर से उधर भागने लगते हैं। भागने से हमारी सांसें तेज़ हो जाती हैं जिसके कारण बहुत सारा घातक धुआं हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है और व्यक्ति बेहोश हो जाते हैं और ज़मीन पर गिर जाते हैं तथा फिर आग की लपटों से घिर जाते हैं।
इसलिए आग लगने की स्थिति में ये सुरक्षा उपाय अपनाएं।
1. भगदड़ न मचाएं और अपने होश को स्थिर रखें ताकि आप अपनी रक्षा व दूसरों की सहायता कर सकें।
2. अपने नाक पर गीला रुमाल या गीला लेकिन घना कपड़ा बांधें।
3. अपने आसपास अग्नि शमन यंत्र खोजे और उनका तुरंत प्रयोग करें ।अगर वो काम नही करें तो रेत या मिट्टी का प्रयोग करें।
4. यदि आप किसी कमरे में बंद हों तो उसके खिड़की दरवाज़े बंद कर दें तथा उनके नीचे या ऊपर या कहीं से भी धुआं आने की संभावना हो तो उस जगह को भी गीले कपड़े से सील कर दें।
अपने आसपास के लोगों से भी ऐसा ही करने को कहें।
6. अग्निशमन की सहायता की प्रतीक्षा करें। याद रखें, अग्निशमन वाले प्रत्येक कमरे की जांच करते हैं और वे फंसे हुए व्यक्तियों को ढूंढ लेंगे।
7. यदि आपका मोबाइल काम कर रहा हो तो आप लगातार 100, 101 या 102 पर मदद के लिए कॉल करते रहें। उन्हें आप अपने स्थान की जानकारी भी दें। वे आप तक सबसे पहले पहुंचेंगे।
8. अपने कमरों के दरवाज़ों के नीचे खाली जगहों में गीले तौलिये लगा देना चाहिए। और खाली जगहों को सील कर देना चाहिए, जिससे धुआं कमरों तक नहीं पहुंच सके या बहुत कम मात्रा में पहुंचे।
9. अपनी नाक पर गीले रुमाल बांध लें जिससे आपके फेफड़ों में धुआं प्रवेश ना कर सके।
10. अगर नीचे के तल में आग नही है और आप ऊपर है या आप नीचे तल पर ही फंसें है तो अपने कमरों के फर्श पर औंधे लेट जाये। (क्योंकि धुआं हमेशा ऊपर की ओर उठता है)
इस प्रकार जब तक अग्निशमन विभाग के कर्मचारी आयेंंगे, तब तक अपने आपको जीवित रख पाने में सफल रह सकोगे।
पहले से किये जाने वाले उपाय।
सदैव अच्छी गुणवत्ता वाले अग्नि शमन यंत्र ही खरीदें।
आग अधिकतर बिजली के शाट सर्किट से लगती है। अतः जहां बिजली का जंक्शन हो वहां स्वचालित अग्निशमन यंत्र अथवा अग्निशमन गेंद लगाने चाहिएँ। जैसे ही आग बढ़ेगी वैसे ही गेंद फट जायेगी और अग्नि शान्त हो जायेगी।
बहुमंजिला भवनों में हर तल पर, प्रत्येक लिफ्ट में, बिजली के जंक्शन के पास अग्नि शमन यंत्रो क् होना अति आवश्यक है।
हम लाखों करोडों के मकान, फ्लैट, गोदाम, फैक्ट्री आदि तो बना लेते है लेकिन अग्नि शमन यंत्र में सबसे अधिक कंजूसी करते है। जो कभी नही करनी चाहिए।
हर पल सचेत रहो, सदैव सुरक्षित रहो।
आपको इस आलेख को अपने प्रियजनों तक अवश्य पहुंचाना चाहिए।
दुर्घटना में कोई भी फंस सकता है। इसलिए सुरक्षा उपायों की जानकारी सबको अवश्य होनी चाहिए।
अपनी सुरक्षा अपने हाथ।