कर्नाटक उच्च न्यायालय की अनुमति के अनुसार हुबली ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव आयोजित हो सकता है। ऐसा स्पष्ट फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट ने दिया। इस गंभीर विवाद को लेकर कल आधी रात को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने कहा कि चूंकि जमीन हुबिली स्थित अंजुमन-ए-इस्लाम के स्वामित्व में नहीं है, इसलिए इस मामले में इसी तरह के एक अन्य विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले पर लागू नहीं होता।
यह भूमि (हुबली में स्थित) वास्तव में हुबली नगर निगम की है। इसलिए वह इसके बारे में जो भी उचित समझे, कर सकते हैं, न्यायमूर्ति श्री इशोक कीनागी ने कहा। निगम ने उस जमीन पर रमजान और बकरी ईद नाम से दो दिन की नमाज की इजाजत दी थी। इस मामले में कोई दखल नहीं हो सकता।
स्थानीय निकाय (नगर पालिका) ने मंगलवार सुबह इस ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने का निर्णय लिया। इसके खिलाफ अंजुमन ए इस्लाम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में (हिंद) त्योहारों के उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने के फैसले के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। न्यायाधीश सर्वश्री इंदिरा बनर्जी ए.एच.ओका और एम.एम.सुंदरेश ने कहा कि यथास्थिति बनाए रखने का फैसला करते हुए गणेश पूजा दूसरी जगह की जा सकती है।
जब कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि ऐसी कोई घटना (निर्माण) पहले भी हुई है? रोहतगी ने तब कहा कि यह कार्यक्रम के विरोध का आधार नहीं हो सकता। वक्फ बोर्ड ने पेश किया तो वक्फ के वकील दीक्षित दवे ने कहा कि क्या किसी हिंदू मंदिर में अल्पसंख्यक को इबादत करने की इजाजत दी जा सकती है? उन्होंने बाबरी-मस्जिद के मामले का हवाला देते हुए कहा, ”आप जानते हैं कि वहां क्या हुआ था।