-सरकारी अस्पताल में जांच से लेकर इलाज तक की है मुफ्त व्यवस्था
-समय ज्यादा बर्बाद करने पर एमडीआर टीबी होने का रहता है खतरा
बांका, 11 सितंबर
जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाना है, इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सभी सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग बेहतर इलाज की चाहत में निजी अस्पताल का दरवाजा खटखटाते हैं। वहां से अगर उन्हें सरकारी अस्पताल भेजा जाता है तो वे फिर किसी दूसरे निजी अस्पताल में चले जाते। ऐसा करने से टीबी का इलाज लंबा खिंच जाता और मरीज को भी एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। इस तरह की लापरवाही नहीं करें और टीबी के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं।
अमरपुर की हटिया की रहने वाली किरण देवी को तीन साल पहले टीबी के लक्षण का अहसास हुआ। इसके बाद वह इलाज कराने के लिए पटना चली गईं। वहां कुछ दिनों तक इलाज चला, इसके बाद उन्हें वहां से नजदीकी सरकारी अस्पताल जाने के लिए कहा गया। लेकिन बेहतर इलाज की चाहत में वह फिर भागलपुर के मायागंज अस्पताल चली गईं। वहां पर इलाज शुरू करने के बाद उन्हें फिर से नजदीकी सरकारी अस्पताल जाने के लिए कहा गया। इसी दौरान वह एमडीआर टीबी की चपेट में आ गईं। इसके बाद वह जिला यक्ष्मा केंद्र, बांका गई। वहां पर डीपीएस गणेश झा से मुलाकात हुई। उन्होंने जांच के बाद उनका इलाज शुरू किया। नियमित दवा का सेवन करते रहने के बाद अब वह ठीक हैं। अगर शुरुआत में ही वह नजदीकी सरकारी अस्पताल चली जातीं तो वह एमडीआर टीबी की चपेट में नहीं आतीं और समय रहते ठीक हो जातीं।
सरकारी अस्पतालों में बेहतर व्यवस्थाः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि सभी सरकारी अस्पताल में टीबी के इलाज को लेकर बेहतर व्यवस्था है। सरकारी अस्पतालों में इलाज कराकर मरीज लगातार ठीक भी हो रहे हैं। टीबी को लेकर जिले में लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हर तरह की सुविधा यहां पर मुफ्त है। इसके बावजूद लोगों को इस तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जो बीमारी छह महीने में ठीक हो सकती है, उसका इलाज ज्यादा दिनों तक क्यों करवाते हैं मरीज। इसलिए लोगों से मेरी अपील है कि टीबी के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं, न कि निजी अस्पताल। यह आपके हित में है।
जागरूकता अभियान से लेकर मरीजों को चिह्नित करने का चल रहा कामः जिला ड्रग इनचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि टीबी उन्मूलन को लेकर लगातार काम हो रहे हैं। जागरूकता अभियान से लेकर मरीजों को चिह्नित करने का काम तेजी से हो रहा है। टीबी से संक्रमित होने के बाद मरीज अगर एक बार सरकारी अस्पताल आ जाते हैं तो ठीक होने तक उनकी निगरानी की जाती। दवा भी मुफ्त में मिलती है। टीबी मरीजों को पौष्टिक भोजन के लिए इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी दी जाती है। इसलिए टीबी होने पर लोग सरकारी अस्पताल ही आएं।