प्रेरक कथा – श्री गुरुजी भू

प्रेरक कथा – श्री गुरुजी भू

एक निराश व्यक्ति ने अपने वयोवृद्ध गुरुजी से पूछा : जीवन का मूल्य क्या है?

गुरुजी बहुत महाज्ञानी, महातपस्वी, गुणवान, पहुंचे हुए विद्वान थे। उन्होंने अपनी झोली मे हाथ घुमाकर उसे एक पत्थर का टुकड़ा निकाल कर दिया और कहा :
जा और इस पत्थर का मूल्य पता करके आ, लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नही है I

वह व्यक्ति पत्थर को बाजार मे एक आम वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

आम वाला चमकीले पत्थर को देखकर बोला, “1 किलो आम लेलो और इस पत्थर को मुझे दे दो।

आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा
“एक बोरी आलू ले जाओ और इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जाओ।

कुछ आओर आगे बढ़ा तो लुहार ने पत्थर के बदले दो कुल्हडी देने की बात कही।

आगे चलकर ठठेरा मिला तो उसने कहा कि तुम्हारे मनपसन्द 11 बर्तन दे सकता हूं श्रीमान छांट लो।

आगे एक सोना बेचने वाले के पास गया उसे पत्थर दिखाया सुनार उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला, “60 लाख मे बेच दे भाई” l

 

उसने मना कर दिया तो सुनार बोला मेरे पास ” 2 करोड़ ही है, 2 करोड तक मे दे दो या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे।

उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरुजी ने इसे बेचने से मना किया है l

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे पत्थर दिखाया l

जौहरी ने जब उस बहुमूल्य रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बहुमूल्य रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l

फिर जौहरी बोला , “कहां से लाया है ये अनमोल, बहुमूल्य रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो अनमोल है l”

वह व्यक्ति हैरान परेशान होकर वापस अपने गुरुजी साधु बाबा के पास आया l

पत्थर गुरुजी को लौटते हुए अपनी आप बीती सुनाई और बोला “अब बताओ भगवन, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

गुरुजी पत्थर झोली में फैंकते हुए बोले :

तुमने आम वाले को दिखाया तो उसने इसकी कीमत “1 किलो आम” की बताई l

सब्जी वाले ने इसकी कीमत “1 बोरी आलू” बताई l

लुहार ने इसके बदले एक कुल्हडी देने की बात कही।

ठठेरा तुम्हारे मनपसन्द 11 बर्तन देने को तैयार हुआ।

आगे सुनार ने “2 करोड़” बताई ।
और जौहरी ने इसे “अनमोल/बहुमूल्य” बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तुम निश्चित ही अनमोल हीरा हो, लेकिन, सामने वाला तुम्हारी कीमत,
अपनी जानकारी, अपने ज्ञान, अपनी क्षमता, अपनी योग्यता, अपनी श्रद्धा से लगाएगा।

घबराओ मत संसार में तुम्हे पहचानने वाले भी एक दिन मिल ही जायेगे।

अपना सम्मान करो, आपका जीवन अनमोल है।
आप बहुत ही विशेष है।

जय प्रकृति मां

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