पहले खुद हुईं टीबी से ठीक, बाद में नौ लोगों का कराया इलाज

-सभी नौ लोग सरकारी अस्पताल में इलाज कराकर हो गए स्वस्थ
-रजौन प्रखंड की रहनेवाली सत्यभामा देवी लोगों को कर रहीं जागरूक

बांका, 6 अक्टूबर

2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने में स्वास्थ्य विभाग लगा हुआ है। लगातार जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। इसका असर अब दिखाई पड़ने लगा है। अब तो टीबी पीड़ित लोग सरकारी अस्पताल में इलाज कराकर खुद तो ठीक हो ही रहे , साथ में दूसरे लोगों को भी इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भेज रहे हैं। रजौन प्रखंड के गोपालपुर की रहने वाली सत्यभामा देवी इसका जीता जागता उदाहरण हैं। ठीक होने के बाद उन्होंने नौ टीबी से पीड़ित लोगों को इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल भेजा। सभी नौ लोग अब स्वस्थ हैं।
सत्यभामा देवी कहती हैं कि पांच साल पहले जब मुझे टीबी हुआ था तो उस वक्त काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। पहले देवघर गई थी इलाज कराने के लिए। इसके बाद भागलपुर के मायागंज अस्पताल, लेकिन मैं ठीक हुई रजौन स्थित सरकारी अस्पताल की दवा से। नौ महीने तक दवा चली तो मैं स्वस्थ हुई। इलाज के दौरान न तो जांच के लिए पैसा लगा और न ही इलाज के लिए। दवा भी मुफ्त में मिली। इसके अलावा जब तक इलाज चला तब तक पौष्टिक भोजन के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी मिली। इसलिए मैंने सोचा कि इस तरह की जानकारी आमलोगों को पहुंचाना बहुत जरूरी है, इसलिए मैंने लोगों को जागरूक करने का काम शुरू किया।
मुझे जो परेशानी हुई दूसरों को नहीं होः सत्यभामा देवी कहती हैं कि सरकारी स्तर पर सभी तरह की सुविधा रहने के बावजूद जानकारी की कमी से मुझे परेशानी हुई थी। इसलिए जब मैं ठीक हुई तो यह सोचा कि क्यों नहीं मैं गांव-समाज के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करूं। इसके बाद मैं आसपास के लोगों को समझाने लगी कि टीबी का इलाज आसान है और वह भी मुफ्त। शुरुआत में तो कुछ लोग यकीन नहीं करते थे, लेकिन जब एक-दो लोगों को सरकारी अस्पताल भेजा तो वहां उनका मुफ्त में इलाज हुआ। इसके बाद लोगों का भरोसा बढ़ा और मेरी बात लोग मानने लगे। इसका परिणाम यह है कि अब तक मैं नौ लोगों को टीबी के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भेज चुकी हैं और सभी लोग ठीक हैं।
इस तरह की पहल सराहनीयः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि इस तरह की पहल से टीबी जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने में मदद मिलेगी। विभाग के साथ आमलोग भी जागरूकता का काम करेंगे तो इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। सामाजिक तौर पर लोग एक-दूसरे की बात को आसानी से मानते हैं। खासकर वैसे लोग जो टीबी से ठीक हो चुके हैं तो उनकी बातों को कोई अनसुना नहीं करेगा। इस तरह की पहल सराहनीय है। इसके अलावा सरकारी स्तर पर भी लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। समय-समय पर शिविर लगाकर भी टीबी के मरीजों को चिह्नित किया जाता है। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जांच इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में दी जाती है। साथ में पांच सौ रुपये प्रतिमाह राशि भी दी जाती है।

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