नाइट ब्लड सर्वे को लेकर स्वास्थ्यकमिर्यों को दिया गया प्रशिक्षण

–जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम जल्द ही किया जाएगा शुरू
-सात नवंबर से पहले नाइट ब्लड सर्वे का काम किया जाना है पूरा

भागलपुर-
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जल्द ही नाइट ब्लड सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। नाइट ब्लड सर्वे का काम 7 नवंबर से पहले किया जाना है। जल्द जिले में इसकी शुरुआत हो सकती है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग तैयारी में जुट गया है। इसी सिलसिले में शनिवार को जिला मलेरिया कार्यालय में स्वास्थ्यकर्मियों और एलटी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में सात प्रखंड अस्पतालों के एलटी शामिल हुए। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डीएमओ डॉ. दीनानाथ और केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक ने स्वास्थ्यकर्मियों को महत्वपूर्ण बात बताई।

डीएमओ डॉ. दीनानाथ ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे का काम जल्द ही जिले में शुरू किया जाएगा। इसकी तैयारी को लेकर शनिवार को प्रखंड अस्पतालों से आए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें नाइट ब्लड सर्वे के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है, इसके बारे में बताया गया।

सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गएः डीएमओ डॉ. दीनानाथ ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे को लेकर सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गए हैं। एक सेंटिनेल और दूसरा रैंडम साइट। जहां पर फाइलेरिया के अधिक केस मिले हैं वहां पर सेंटिनेल साइट बनाए गए हैं। इसके अलावा वैसी जगहों पर भी साइट बनाए गए हैं, जहां पर फाइलेरिया के कम मरीज मिले हैं। ऐसी जगहों पर रैंडम साइट बनाए गए हैं। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक साइट पर 20 वर्ष से अधिक उम्र के 300 लोगों की जांच की जाएगी।

फाइलेरिया के परजीवी रात में ही होते हैं सक्रियः डीएमओ डॉ. दीनानाथ ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है।

नियमित और उचित देखभाल जरूरीः डीएमओ डॉ. दीनानथ ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं।

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