नवजात को जन्म के बाद आधे घंटे के अंदर स्तनपान कराने में हुई बढ़ोतरी

  • सामुदायिक स्तर पर लोगों में जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों की तत्परता से हुई वृद्धि
  • स्तनपान कराने से माँ कई गंभीर बीमारी से रहती है दूर और बच्चे का स्वस्थ और मजबूत शरीर का होता है निर्माण

लखीसराय, 18 अक्टूबर। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आईसीडीएस द्वारा नियमित तौर पर लगातार किए जा रहे प्रयासों का जिले में सार्थक परिणाम दिखने लगा। यही नहीं, सामुदायिक स्तर पर लोगों में सकारात्मक बदलाव भी देखा जा रहा है। लोग पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आकर स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए आगे आ रहे हैं। जिसका जीता-जागता प्रमाण है कि जन्म के बाद और आधे घंटे के अंदर अपने नवजात को धातृ माताओं द्वारा स्तनपान कराने में वृद्धि हुई है। एनएफएचएस – 4 की जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिले के 32.7 % धातृ माताओं ने अपने नवजात को जन्म के आधे घंटे के अंदर स्तनपान कराया । जबकि, एनएफएचएस – 5 की जारी रिपोर्ट के मुताबिक जन्म के आधे घंटे के अंदर 51.2 % धातृ माताओं ने नवजात को स्तनपान कराया है ।

  • सामुदायिक स्तर पर लोगों में जागरूकता और कर्मियों में तत्परता से हुई वृद्धि :
    डीआईओ सह एसीएमओ डाॅ अशोक कुमार भारती ने बताया, जन्म के बाद और आधे घंटे के अंदर स्तनपान कराने में हुई बढ़ोतरी सामुदायिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव का बड़ा प्रमाण है। यह लोगों की जागरूकता और कर्मियों की तत्परता से संभव हुआ। वहीं, उन्होंने बताया, प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली प्रसूति महिलाओं का ना सिर्फ प्रसव कराया जाता बल्कि, ड्यूटी पर तैनात एएनएम, ममता, आशा कार्यकर्ता समेत अन्य कर्मियों द्वारा प्रसूति महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए जागरूक भी किया जाता है। इस दौरान स्तनपान से होने वाले फायदे, स्तनपान माँ और नवजात के लिए कितना जरूरी है, स्तनपान कितने दिनों तक जारी रखनी चाहिए समेत अन्य आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी जाती है।
  • स्तनपान माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद :
    डाॅ अशोक कुमार भारती ने बताया, स्तनपान ना सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि माँ के लिए भी काफी लाभदायक और फायदेमंद है। इसलिए, हर माँ को शिशु के जन्म के बाद आधे घंटे के अंदर अपने शिशु को स्तनपान कराना शुरू कर देना चाहिए। माँ का यह गाढ़ा-पीला दूध शिशु के लिए काफी लाभदायक है । इसे प्रथम टीका भी कहा जाता है। साथ ही शिशु के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए काफी सहायक भी है।पर्याप्त स्तनपान से जहाँ बच्चे का सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक होता और संक्रामक बीमारी से बचाव भी होता है। वहीं, माँ को काफी गंभीर बीमारियों की परेशानी से काफी हद तक बचाव करता है। उन्होंने बताया, बच्चों को छः माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए, यानी स्तनपान के अलावा पानी भी नहीं देना चाहिए। बच्चों की प्यास बुझाने के लिए भी माँ का दूध उपयुक्त आहार है। छः माह की उम्र सीमा पार करने के बाद ही शिशु के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ऊपरी आहार शुरू करना चाहिए और कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ स्तनपान भी जारी रखना चाहिए। यह बच्चों के सतत विकास के लिए काफी लाभदायक है।
  • माँ के दूध में होते हैं कई पोषक तत्व :
    माँ के दूध में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, माँ के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है, जो छ: माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है।
  • स्तनपान से शिशु और माँ को होने वाले लाभ :
  • बच्चे के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक के लिए सहायक।
  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
  • माँ और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है।
  • ब्रेस्ट कैंसर की संभावना नहीं रहती है।
  • माँ का वजन कम होता है।
  • बच्चे संक्रामक बीमारी से दूर रहते हैं।
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