मांसाहार – रोगो का संंसार । संकलनकर्ता गुरुजी भू

मांसाहार – रोगो का संंसार

तथ्य को सार्वभौमिक सत्य कहा जाये तो अतिश्योक्ति न होगी कि मांसाहार मनुष्य के लिए मृत्यु का निमन्त्रण है, क्यों ?

विश्वविख्यात वैज्ञानिक व ख्यातिप्राप्त डॉक्टर इस निष्कर्ष पर एक मत हैं। स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क, बफैलो की रिपोर्ट के अनुसार केवल अमेरिका में ४७,००० से भी अधिक जन्म लेने वाले बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें माता-पिता के मांसाहारी होने के कारण अनेक रोग विरासत में मिलते हैं और वे बच्चे बड़े होने पर पूर्णतः स्वस्थ नहीं रह पाते।वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर ही बी०बी० सी० लन्दन के टेलीविजन विभाग ने एक साप्ताहिक कार्यक्रम द्वारा विश्व के प्रत्येक नागरिक को यह चेतावनी दी है कि मांसाहार से अनेकों घातक बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है।

 

 

दीर्घ आयु का राज शाकाहारी

“हूजा” आदिवासियों (Huja Tribe) के ९० से ११० वर्ष की आयु-समूह के वृद्धों के सर्वेक्षण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि उनकी दीर्घ आयु का राज शाकाहारी होना है।(अहिंसा संदेश जून,८९, रांची)
हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, मोटापा, गुर्दे का रोग आदि अनेक घातक बीमारियों के शिकार मांसाहारी ही अधिक होते हैं।

 

 

हृदय रोग

इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि भारत में ही नहीं, परन्तु सम्पूर्ण विश्व में मानव की मृत्यु का प्रमुख कारण है हृदय रोग, जिसके कारण प्रति ४५ सैंकण्ड में एक मनुष्य मृत्यु का ग्रास बनता है। यह भी प्रामाणिक तथ्य है कि मांस खाने वाले व्यक्ति में हृदय रोग होने का खतरा ५० प्रतिशत है जबकि शाकाहारियों में केवल १५ प्रतिशत ही है।
यह भी सर्व विदित है कि कॉलिस्ट्रोल केवल मांस में ही होता है पौधों में नहीं। भले ही वनस्पति में अन्य प्रकार के स्ट्रीरोल तो मिलते हैं इनमें से मुख्य है B―स्टीरोल।
मांसाहारी व्यक्ति ४०० से ६०० मिलीग्राम मांस प्रतिदिन खाता है तथा उसमें से केवल ३००-४०० मिलीग्राम हमारे पाचन तत्र द्वारा अवशोषित हो पाता है फलतः हार्ट-अटैक का खतरा ५० प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
जबकि शाकाहारी भोजन का एक विशेष लाभ ये भी है कि पादप-स्टीरोल्स की बहुतायत कॉलिस्ट्रोल के अवशोषन को रोकती है तथा शाकाहारी कॉलिस्ट्राल के प्रकोप से बचा रहता है।

*कैंसर*
शाकाहारी भोजन विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे-स्तन का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, पेट का कैंसर और प्रोस्टेट आदि का कैंसर के रोकने में सहायक सिद्ध होता है।शाकाहारी भोजन में अनेक रक्षक तत्त्व होते हैं।जैसे―पॉलीफिनोलिक योगिक, एंटिऑक्सिडेन्ट फाइटोकैमिकल्स जो स्वतन्त्र रेडिकल्स को निष्क्रिय बना देते हैं।

 

एक सर्वेक्षण के लिए अनुसार जब जापान में मनुष्य के भोजन में चर्बी की मात्रा में ५ गुणा वृद्धि की गई, तब स्तन कैंसर से मरने वाली महिलाओं की संख्या में १०८ गुणा वृद्धि हो गई। ६०,००० स्त्रियों के अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उन स्त्रियों को जो मांस का भरपूर सेवन करती हैं स्तन कैंसर होने की सम्भावना 17 प्रतिशत अधिक है, उनकी अपेक्षा जो मांस का सेवन नहीं करतीं।

 

इन रोगों के अतिरिक्त मांस खाने वाले मनुष्यों को गुर्दा-रोग, प्रॉस्ट्रेट् कैंसर, एलर्जी, उच्च रक्तचाप, बर्ड–फ्लू आदि अनेक भयंकर रोगों का खतरा बना रहता है।

 

विश्वविख्यात पहलवान प्रो० राममूर्ति पूर्णतः शाकाहारी थे जिन्होंने अण्डा, मांस, मछली खाने वाले कई प्रचण्ड शक्ति-सम्पन्न पहलवानों को घड़ी भर में पछाड़ा था।

 

सभी दालों में अण्डों की तुलना में प्रोटीन की मात्रा डेढ़ गुणा ज्यादा होती है। मूंगफली में तो दुगुनी प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। मूंगफली यदि १०० ग्राम प्रतिदिन सेवन की जाए तो स्वाभाविक रुप में प्रोटीन की कमी नहीं हो सकेगी, अतः बढ़ती आयु के बालकों को प्रोटीन युक्त आहार देना अति आवश्यक है, जो शाकाहारी वस्तुओं जैसे―दाल,शाक-सब्जी, बादाम, काजू, मूंगफली आदि में प्रचूर मात्रा में होता है।

 

अमेरिका के श्री एस्टेल ग्रे और श्री चेकिल मेरेक, जिन्होंने साईकिल चलाने में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया, वे भी पूर्णतः शाकाहारी हैं, अण्डे,मांस आदि से परहेज रखते हैं।

 

लन्दन की विख्यात आहार-शास्त्री श्रीमति के० केलनी का मानना है कि अण्ड़े खाना, मांस खाने से भी बुरा है, क्योंकि अण्ड़े में चिकने पदार्थ मांस से भी अधिक होते हैं जो कब्ज पैदा करते हैं।आयुर्वेद के अनुसार, सभी घातक रोगों का प्रारम्भ कब्ज ही माना जाता है। मुर्गी पालन केद्रों में मुर्गियों को पांच प्रकार का हिंसक आहार दिया जाता है।

१. बोन-मील (अस्थि-आहार),

२. ब्लड-मील (रक्त आहार),

३.फीसीज़-मील (विष्ठा-आहार),

४.मीट-मील (मांस-आहार),

५.पाइसीज़-मील (मत्स्य-आहार), इस प्रकार का आहार खाने वाली मुर्गियों के अण्डे क्या शाकाहारी हो सकते हैं ? वस्तुतः पशुओं का मांस और फैक्ट्री-फार्म-अण्डे, ऐसी गम्भीर विकृतियाँ हैं जिनके पास अभिशाप से मनुष्य समाज की रक्षा करना कठिनतम हो गया।

 

प्रकृति विरोधी गतिविधियों से मानव जीवन में दुख पाता है।

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