खास है उत्पन्ना एकादशी का व्रत, खास हैं एकादशी से जुड़ी 10 बातें

खास है उत्पन्ना एकादशी का व्रत और खास हैं एकादशी से जुड़ी 10 बातें जो सभी को जानना चाहिए। उतपन्ना एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु ने अपनी शक्तियों से देवी एकादशी के उत्पन्न किया था और राक्षस मुर का वध किया था। एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की उपासना करने पर श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है।

इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर 2022, रविवार को मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने अपनी शक्तियों से देवी एकादशी के उत्पन्न किया था और राक्षस मुर का वध किया था। इसी कारण से इस एकादशी को उत्पन्ना एकदशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को आरोग्यता,संतान सुख की प्राप्ति, मोक्ष, पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।

एकादशी से जुड़ी कुछ खास बातें-

1- एकादशी व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है. एकादशी पर भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और पीला भोग अर्पित करते हैं जबकि देवी लक्ष्मी को लाल वस्त्र अर्पित करते हैं।

2- एक वर्ष में कुल मिलाकर 24 एकादशियां आती हैं। लेकिन जब अधिकमास का वर्ष आता है तो साल में 2 एकादशी और जुड़ जाती है। यानी अधिकमास होने पर साल में कुल 26 एकादशी हो जाती है।

3- एकादशी का व्रत निराहार किया जाता है. इसमें फलाहार किया जा सकता है।

4- एकादशी व्रत में दशमी की रात से लेकर द्वादशी की सुबह तक एकादशी व्रत का पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है।

5- एकादशी व्रत रखने के दौरान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लगातार “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप किया जाता है।

6- एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लेना चाहिए। फिर भगवान विष्णु को तुलसी के पत्तों का भोग लगाना चाहिए।

7- एकादशी तिथि पर कभी भी बाल और नाखून नहीं कटवाना चाहिए।

8- एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्राणों और गरीबों को भोजन करवाना चाहिए।

9- महाभारत में भी भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत की महिमा के बारे में विस्तार से बताया था।

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