स्टेप डाउन शी एंड कम्युनिस्ट पार्टी, हमें आजादी चाहिए, हमें डेमोक्रेसी चाहिए। 1989 से आज की हालत तो काफी बदल गई है लेकिन जिनपिंग की मठाधीशी से चीन के बहुत सारी जनता खुश नहीं है।
आक्रोषित जनता सरकार की नीतियों के खिलाफ तो नारेबाजी कर ही रही है, अब वह लोकतंत्र की मांग भी कर रही है। बीजिंग समेत चीन के कई राज्य और प्रमुख शहर सरकार के खिलाफ जिस तरह की नारेबाजी कर करते दिख रहे हैं उससे लगता है कि आने वाले समय में चीन किसी बड़े बदलाव की तरफ बढ़ रहा है। इस बदलाव में राष्ट्रपति जिनपिंग की विदाई भी हो सकती है और जनता के साथ क्रूर कार्रवाई भी।
जिस तरह के हालत दिख रहे हैं उससे तो यही लगता है कि चीन फिर से तियानमेन चौक की घटना की फिर से कही पुनरावृत्ति न हो जाए ! चीन की यह घटना 1989 में घटी थी जिसमे बड़ी संख्या में लोगों की जाने गईं थीं।
सरकार अभी हर संभव लोगों की नाराजगी को संभालने का प्रयास तो कर रही है लेकिन नाराज चीनी समाज जिस तरह से जिनपिंग की नीतियों के खिलाफ खडा है, उसे देख ऐसा नहीं लगता कि जनता शांत होगी, क्योंकि जनता का रुख अब कोविड से उपजी परेशानी से ज्यादा लोकतंत्र की मांग पर केंद्रित होता जा रहा है।