जानकारी एवं जागरूकता को हथियार बना रेखा ने जीती टीबी से जंग

पटना

जानकारी आपको समस्याओं से सजग ही नहीं करती,बल्कि इससे निकलने का रास्ता भी बताती हैं। पटना के अनीसाबाद स्थित शिवपुरी की रहने वाली 26 वर्षीय रेखा ने भी कुछ ऐसा ही किया है। जानकारी एवं जागरूकता को हथियार बना कर टीबी को मात देने में वह सफ़ल हुई है। उनकी यही सकारात्मक सोच उनके लिए टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़ने की प्रेरणा भी साबित हुई है। अब वह आम लोगों को टीबी की चुनौतियों से लड़ने की कला भी सीखा रही हैं।

जागरूकता एवं जानकारी से किसी भी चुनौती से निपटना संभव:
रेखा ने बताया कि उन्हें खांसी एवं बलगम में खून आने लगा। वजन घटने के कारण कमजोरी का अहसास भी होने लगा। अपनी बिगड़ती तबियत को देखकर उन्होंने अविलंब चिकित्सीय सलाह एवं उपचार जरुरी लेना जरूरी समझा।

वह कहती हैं- “मैंने गर्दनीबाग अस्पताल में चिकित्सकों से भेंट कर उन्हें अपनी परेशानी बतायी और चिकित्सकों ने मुझे तुरंत टीबी की जांच कराने की सलाह दी। जांच में टीबी की पुष्टि हुई और चिकित्सकों द्वारा बताये गए दवाओं का पूरे 6 महीने सेवन किया और टीबी को हराने में सफल हुई। उन्होंने कहा कि रोग के प्रति सजगता और जानकारी मेरे बहुत काम आई। ऐसे भी लक्षणों की पहचान और जागरूकता से कोई भी व्यक्ति आसानी से टीबी को मात दे सकता है।

टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़कर जगा रहीं जागरूकता की अलख:
रेखा ने मई 2022 में टीबी को मात देकर समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से जून 2022 में टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़ने का निर्णय लिया। अब वह टीबी मरीजों को रोग से उनकी लड़ाई में हर स्तर पर मदद कर रही हैं। टीबी रोगियों की जांच, उनके लिए ससमय दवा की उपलब्धता, मरीज दवा के पूरे कोर्स का सेवन करें, यह सब रेखा सुनिश्चित करती हैं। मरीजों को नियमित अंतराल पर फोन कर उनका हाल लेती हैं और उनके घरवालों का भी मनोबल बढ़ाती हैं।
जागरूक महिला है सशक्त महिला:
रेखा ने बताया कि महिला पूरे घर की धुरी होती है। महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी से एकाकार होना उनके परिवार को टीबी जैसी संक्रामक बीमारी से बचने एवं लड़ने में सहायता करेगा। रेखा ने कहा कि “मैं सभी मिलने वाली महिलाओं को टीबी सहित अन्य रोगों के बारे में जानकारी रखने की सलाह देती हूँ और बताती हूँ कि किस माध्यम से उन्हें सटीक एवं पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकती है”।
कर्मठता एवं जानकारी है रेखा की पहचान:
टीबी उन्मूलन के लिए काम कर रही संस्था रीच के स्टेट ऑपरेशन लीड बिपिन कुमार सिंह ने बताया कि रेखा जैसी टीबी चैंपियन का टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़ना उन्मूलन अभियान को गति दे रहा है। रेखा अपने व्यक्तिगत अनुभव को टीबी मरीजों के साथ साझा कर उन्हें प्रोत्साहित करती हैं और जागरूकता के महत्त्व के बारे में बताती हैं।

उन्होंने बताया कि रेखा सभी मिलने जुलने वालों को बताती हैं कि टीबी मरीजों से भेदभाव वाला रवैय्या मरीजों के मनोबल को तोड़ता है, इसलिए टीबी मरीजों से संवेदनापूर्ण व्यव्हार रखना जरुरी है।

मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी भी रोग से लड़ने में है कारगर:
रेखा बताती हैं कि कम उम्र में शादी और तुरंत दो बच्चों के जन्म से उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। इसलिए उन्हें टीबी संक्रमण से जूझना पड़ा। व्यक्ति की मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी भी रोग से लड़ने में कारगर साबित होती है। रेखा बताती हैं उनकी माँ भी सजग और जागरूक महिला हैं जिन्होंने लक्षण का पता चलते ही रेखा को चिकित्सक से मिलने की सलाह दी थी। दैनिक जीवन में खानपान का उचित ध्यान रखकर टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को मात दिया जा सकता है।

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