जीने की चाहत ने बढाया हौसला

— हिम्मत से जीती एमडीआर टीबी की लड़ाई
-सही उपचार कराकर हूँ स्वस्थ्य

लखीसराय, 21 दिसंबर।

कहते है कि “गर ठान ले इंसान कुछ करने की तो जिन्दगी में कुछ भी नामुमकिन नहीं ‘’। इस कहावत को सच कर दिखाया है लखीसराय जिले के निवासी समीर कुमार(काल्पनिक नाम ) ने । .उन्होंने अपने हौसले से न सिर्फ अपनी बीमारी पर काबू पाया बल्कि जिंदगी के मैदान में आज अनवरत दौड़ रहे हैं। . सही समय और सही जानकारी के अभाव में अगर टीबी का उपचार नहीं किया जाय तो एमडीआर टीबी का रूप ले लेता है।
सही समय रहते उपचार ही टीबी को एमडीआर टीबी होने से रोकता–
इसलिए सही समय रहते उपचार ही टीबी को एमडीआर टीबी होने से रोकता है।

यही बात समीर के साथ हुआ। उसे सही समय पर न तो अपनी बीमारी का एह्सास हुआ और न हीं उसे बीमारी के संबंध में सही जानकारी हो सकी । यह सब उसके इलाज के लिए सरकारी संस्थान तक पहुँचने में बाधक बना। जिसके फलस्वरूप वो एमडीआर टीबी का शिकार हुआ। .देर आये दुरुस्त आये की तर्ज पर समीर ने अपना इलाज जिले के सरकारी संस्थान में करवाया और आज वो पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर अपनी जिन्दगी में पूरी तरह से खुश है।

युवाओं को रहना होगा टीबी से सतर्क :
समीर कुमार कहता है कि इस बीमारी के दौरान मैंने कभी अपने हौसले को टूटने नहीं दिया। साथ ही अपना इलाज भी करवाया। जिसके फलस्वरूप मैं आज सबके बीच स्वस्थ्य होकर जी रहा हूँ । इसी कारण कुमार सोशल मीडिया के माध्यम से टीबी के प्रति अपने ग्रुप में जागरूकता फैला रहा है। .आज के दौर में सोशल मीडिया का द्वार हर युवा के लिए चहेता द्वार बना हुआ है । जिसे हर कोई खोलता रहता है। इस कारण ही मैंने इसे आपना माध्यम बनाया है। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए खासकर अपने साथी को, क्योंकिं इस उम्र में अगर हम युवा किसी बीमारी से संक्रमित हो जाते तो न सिर्फ हमारा स्वास्थ्य बल्कि हमारी पढाई भी प्रभावित होती है।

खाँसी से पीड़ित को भी सरकारी संस्थान में ले जाकर जाँच करवाने में मदद करते हैं। इस कारण टीबी के प्रति सिर्फ जागरूकता ही नहीं बल्कि मैं किसी को खाँसी से ग्रसित देखता हूँ तो उसे पास के सरकारी संस्थान में ले जाकर जाँच करवाने में भी मदद करता हूँ। ताकि वो सही समय पर अपना उपचार कराकर इस बीमारी के दायरे में आने से बच सके। . आगे कुमार कहता है कि मैं अपने सभी युवा से कहना चाहता हूँ कि इस बीमारी से सतर्क रहने के लिए अपने खान-पान के प्रति सतर्क रहें। ,अपने रोज के खाने में पोषक तत्व को शामिल करें। व्यायाम या योग करें। साथ ही बाजार के जंक फ़ूड एवं मसाले वाले खाने से अपने को दूर रखें। . क्योकि स्वास्थ्य ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।
ये हैं टीबी के लक्षण :

  • भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
  • हलका बुखार रहना।
  • खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
  • लगातार पन्द्रह दिनों तक खाँसी रहना
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
  • बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
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