अन्तर्राष्ट्रीय षड़यंत्र और भोले भारत के महानुभव!
आज मैं बहुत ही बड़े शोध का गम्भीर विषय पाठको के मध्य रखना चाहता हूं।
जरा सोचिए कि विश्व की सर्वोत्तम वैज्ञानिक संस्कृति। हजारों लाखों ऋषियों-मुनियों अर्थात हर क्षेत्र में सर्वप्रथम विज्ञान के शिखर पर रहने वाले महान वैज्ञानिकों की पावन धरती। योग – प्राणायाम् – आयुर्वेद जैसी मानव जीवन को सुखद व सरल बनाने वाली संस्कारित विद्याओं के जनकों की भूमि। मानवतावादी ही नही वरन् समस्त जीव जगत का कल्याण करने वाली संस्कारित सर्वोच्च विज्ञान पर आधारित शिक्षा प्रणाली। विश्व में सर्वप्रथम प्रजातंत्र प्रणाली का जनक। प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर, कोने कोने में प्राकृतिक सौन्दर्य की बिखरी छटा, वास्तुकलाओं के अनगिनत केन्द्र जादूगरी से भरे पडे़ देश के महा स्वाभिमानी लोगो को गुलामी की जंजीरों ने कैसे जकड़ा ?
आओ थोडा पीछे इतिहास में चलते हैं। द्वापर के अन्त और कलयुग के प्रारम्भ में महाभारत काल में युद्ध में समाज को बहुत बडी हानि का सामना करना पडा था। वो थी ज्ञान, विज्ञान, जवानों की हानि।
वर्तमान में नये हालात है। हालाँकि पूरे देश में मतांतरण का कैन्सर तो ग़ुलामी के समय ही फैल चुका था लेकिन देश के कुछ हिस्से इससे अछूते रहे थे जिनमे पंजाब भी एक था जहाँ ईसाईयों का प्रतिशत बहुत कम था
पंजाब में यह काम मुश्किल इसलिए था क्यूँ की वह लोग अपनी अगाध श्रद्धा और गुरु गोविंद साहब के त्याग को याद रखते थे लोग गँवार थे पढ़े लिखे भी थे लेकिन मेहनत कश और धार्मिक थे जब आर्थिक बिपन्नता नहीं और शारीरिक दुर्बलता नहीं होती है तब तक धर्म से डिगता नहीं व्यक्ति , इसलिए उनका आर्थिक रूप और शारीरिक रूप से दुर्बल होना ज़रूरी था और उनको हिंदुओ से दूर करके पृथक धर्म जाना भी क्यूँ की सिख हमेशा से ख़ुद को हिंदुत्व का अभिन्न अंग मानते थे
साथ ही किसी छोटे व्यक्ति द्वारा अगर मत परिवर्तन कर भी लिया जाता तो उसे समाज और परिवार से बहिष्कृत कर दिया जाता था इसलिए चर्च ने कुछ बड़े व्यक्तियों का चुनाव किया जो इस काम के लिए उपयुक्त हों ताकि उनकी आड़ में बाक़ियों को भी कन्वर्ट किया जा सके
1980 के दशक में यह काम अपनी गति पकड़ा जब चर्च को वह उपयुक्त व्यक्ति मिला जिसका नाम था हरभजन सिंह वह एक लम्बी चौड़ी ज़मीन के मालिक थे साथ ही बड़े किसान भी
1984 के सिख नरसंहार ने सिखों को हिंदुओ से तोड़ने में भारी मदद की जो की इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था सिख पूरी तरह हिंदुओ से कट गए और चुटकुलों में शमा गए
1986 में हरभजन सिंह मशीही मत को अपनाकर ईसाई बन गए उन्होंने 1991 में अपने खेत में एक बड़े चर्च का निर्माण करवाया और चर्च सभा का आयोजन प्रारम्भ किया अपने कन्वर्ज़न का कारण हरभजन सिंह ने बताया की वह सिख धर्म में रहकर नशे और बुरी आदतों का शिकार हो गए थे जिससे निकलने में नाकामयाब रहे लेकिन ईसाई बनने के बाद वह बिलकुल सब छोड़ देने में सफल रहे और मानसिक शांति का अनुभव कर रहे हैं
उसके बाद कन्वर्ज़न का असली खेल सुरु हुआ चर्च द्वारा पोषित हरभजन सिंह और और चर्च की टीम ने मिलकर तरह तरह के खोज की जिससे लोगों को अधिक से अधिक कन्वर्ट कर सकें
उस समय चर्च द्वारा सिखों के प्रतीकों और गुरुओं की काफ़ी सारी चीज़ों को उसी नाम से अपना कर ईसाई बनने की छूट दी गई इस ग्रूप द्वारा सुझाया गया कुछ कन्वर्ज़न के मुख्य उपाय इस प्रकार हैं
चर्च में काम करने वाले सभी लोगों को पंजाबी अच्छे से सिख लेनी चाहिए ताकि वह संवाद स्थापित कर सकें लोगों में
चर्च को चर्च न कहकर क्राइस्ट गुरुद्वारा कहा जाए ताकि लोगों का झुकाव बना रहे
चर्च के पास्टर या प्रीस्ट को इन नामो से न बुलाकर GRANTI या GIANI (ज्ञानी ) कहा जाए जैसा की सिखों की परम्परा है
और जो बिलीवर (श्रद्धालु ) हैं उनको इशा दा सिख कहा जाए
इशू को सतनाम की जगह स्थापित करना और साथ ही वाहे गुरु को सम्बोधन को अडैप्ट किया जा सकता है क्यूँ की इशु ही सत गुरु हैं ऐसा स्थापित हो जाएगा
इन सब उपायों पर अमल करने के साथ ही ड्रग्स लोबि को बढ़ावा देना ताकि लोग नशे के वश में हो जाए चर्च का ड्रग्स के व्यापारियों को संरक्षण किसी से छुपा हुआ नहीं है पंजाब में , ऐसा करने से राजनैतिक लोगों में पकड़ स्थापित की गई और उसके बदले उनको ड्रग्स के लिए सपोर्ट किया गया
चंगाई सभा का आयोजन चर्च की कन्वर्ज़न नीति का अहम हिस्सा है वह अनपढ़ लोगों के बीच सबसे कारगर टूल साबित हुआ संडे चर्च का आयोजन सुरु हुआ
साथ ही सिखों की भजन करने की रीति को ध्यान में रखकर चर्च ने भजन संध्या को भी अपनाया , पैसा उनका सबसे कारगर टूल है ही
इस प्रकार पिछले पंद्रह सालों में अधिकतम कन्वर्ज़न हुआ जो बदस्तूर आज भी जारी है राजनीतिक संरक्षण में ख़ूब फल फूल रहा है।
आज पंजाब पूरी तरह चर्च की गिरफ़्त में है इस समय नया टूल प्रैक्टिस में लाया गया है लेडीज़ पास्टर का जो की चर्च के नियमो के विरुद्ध है लेकिन वह औरतों की भिड़ जमा करने में कारगर है चंगाई सभा आज लेडीज़ पास्टर ही आयोजित करती हैं जल्द ही पंजाब पूरी तरह चर्च के अधीन होकर रह जाएगा अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर। नही।