राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम- 0 से 18 वर्ष तक बच्चों के स्वास्थ्य की होती है स्क्रीनिंग

  • आंगनबाड़ी/स्वास्थ्य केंद्रों और विद्यालयों में बच्चों की होती है स्क्रीनिंग
    -चिह्नित बीमार बच्चों को बेहतर इलाज के लिए भेजा जाता है सदर अस्पताल
  • गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को विशेष जांच और बेहतर इलाज के लिए एंबुलेंस से भेजा जाता है पटना
  • हृदय में छेद या अन्य हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत निःशुल्क ऑपरेशन के लिए भेजा जाता है अहमदाबाद

मुंगेर, 29 दिसंबर-

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके ) के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की जाती है। इस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम प्रखंड से लेकर जिलास्तर तक सक्रियता के साथ काम करती है। जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आरबीएसके टीम कार्यरत है। इस टीम में दो डॉक्टर, एएनएम और एक फार्मासिस्ट शामिल होते हैं। जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों का भ्रमण कर वहां मौजूद 0 से 18 आयु वर्ग के बच्चों की विभिन्न बीमारियों की जांच करने के लिए स्क्रीनिंग करते हैं। इस दौरान टीम में शामिल एएनएम बच्चों का वजन उनकी लंबाई एवम सिर और पैर आदि की माप और तौल करती और फार्मासिस्ट एक रजिस्टर में स्क्रीनिंग किए गए बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। इस दौरान बच्चों में मुख्य रूप से 4 डी यानी चार प्रकार की बीमारियों की जांच की जाती है, जैसे –

  1. डिफेक्ट एट बर्थ डिजीज
  2. डेफिसिएंसी डिजीज
  3. डेवलप डीले डिजीज
  4. डिसेबिलिटी डिजीज ।
    स्क्रीनिंग के दौरान बच्चों में इन चारों प्रकार की बीमारी पाए जाने के बाद उस बच्चे को चिह्नित करते हुए जिला अस्पताल या डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर ( डीईआईसी) रेफर किया जाता है। यहां जांच के बाद के गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को निःशुल्क विशेष जांच और बेहतर इलाज के लिए एंबुलेंस से अभिभावक के साथ राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान और इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान भेजा जाता है।
    आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती-
    राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की जिला समन्वयक डॉ बिंदू ने बताया कि जिलाभर में 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की नियमित जांच में आरबीएसके की पूरी टीम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिलाभर के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती है। ताकि बच्चों में होने वाली किसी भी प्रकार की जन्मजात और गंभीर बीमारियों को सही समय पर पहचान कर सही जांच और उपचार के बाद उन बच्चों को पूरी तरह से बीमारी से सुरक्षित किया जा सके।
    बच्चों में पाई जाने वाली कुल 41 बीमारियों की पूरी गंभीरता के साथ जांच की जाती है –
    उन्होंने बताया कि आरबीएसके की पूरी टीम बच्चों में पाई जाने वाली कुल 41 बीमारियों की पूरी गंभीरता के साथ जांच करती और चिह्नित किए गए बच्चों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर करती है। बच्चों में 41 प्रकार की बीमारियों में मुख्य रूप से जन्मजात विकलांगता, बच्चों के कटे ओठ, तालू संबंधी रोग, श्वशन संबंधी रोग, हृदय रोग, एनीमिया, आंख, दांत, चर्म रोग, एवम पोषण से संबंधित बीमारियों को चिह्नित करते हुए जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। सदर अस्पताल परिसर स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में जांच के बाद गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को बेहतर जांच और उपचार के लिए राजधानी पटना स्थित आईजीआईएमएस और आईजी आईसी रेफर किया जाता है।

मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के अंतर्गत हृदय में छेद वाले बच्चों को निःशुल्क ऑपरेशन के लिए भेजा जाता है अहमदाबाद –
उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिला के हृदय में छेद या अन्य हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को उनके अभिभावक के साथ राज्य सरकार के खर्चे पर हवाई जहाज या ट्रेन से ऑपरेशन के लिए गुजरात के अहमदाबाद भेजा जाता है। मुंगेर के कई बच्चे आज इस योजना के अंतर्गत सफल ऑपरेशन के बाद सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि समाज के अंतिम व्यक्ति को भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके इसके लिए आरबीएसके की पूरी टीम ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में भ्रमण कर कर जरूरतमंद को चिह्नित करते हुए उन्हें सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करती है। ताकि लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में कोई परेशानी नहीं हो। इसलिए सभी जिलावासी अपने आसपास किसी भी प्रकार की परेशानी से ग्रसित बच्चे की सूचना स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र आकर आरबीएसके की टीम को दें ।

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