दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव की तैयारियां पूरी हो गई हैं। सोमवार को एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती की निगरानी में निगम सचिव भगवान सिंह ने सिविक सेंटर के ए ब्लॉक में चौथी मंजिल पर स्थित सदन परिसर में पार्षदों के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की है।
एमसीडी में मेयर बनने के लिए 138 वोट मिलना जरूरी है। दिल्ली मेयर के चुनाव में सभी निर्वाचित 250 पार्षद, दिल्ली के सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 14 मनोनीत विधायक इस मेयर चुनाव में वोट करेंगे।
एमसीडी की छह जनवरी को सदन की पहली मीटिंग होनी है और इसी दौरान मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव भी होना है। एमसीडी के सदन का कार्यकाल पांच साल का होता है। एमसीडी एक्ट के तहत पहले साल महिला पार्षद को महापौर चुने जाने का प्रावधान है, जबकि उपमहापौर के मामले में कोई नियम नहीं है।
वहीं, दूसरे साल महापौर पद पर कोई भी पार्षद चुना जा सकता है, जबकि तीसरे साल मेयर पद अनुसूचित जाति के पार्षदों के लिए आरक्षित है। चौथे व पांचवें साल महापौर पद किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। एमसीडी की सबसे अधिकार वाली स्थायी समिति के अध्यक्ष पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
एमसीडी के सदन की बैठक छह जनवरी को होने पर उस दिन चुने जाने वाले महापौर का कार्यकाल मात्र तीन माह का ही होगा। दरअसल डीएमसी एक्ट की धारा दो (67) के अनुसार एमसीडी का अप्रैल माह के प्रथम दिन से वर्ष शुरू होता है। इस तरह 31 मार्च को वर्ष समाप्त हो जाता है। इसलिए अप्रैल माह में दूसरे महापौर का चुनाव होगा। इस तरह छह जनवरी को चुने जाने वाले महापौर का कार्यकाल करीब तीन माह में ही 31 मार्च को समाप्त हो जाएगा।