असत्य की नीव पर खडा तथाकथित इतिहास पढ़ रहे है हम?

असत्य की नीव पर खडा तथाकथित इतिहास पढ़ रहे है हम?
अपने पराजितों को विजयी और हत्यारों को भी महान् बताना ही इतिहास रह गया है। नहीं तो मक्का के युद्ध में मोहम्मद हारकर मदीना भागे थे और हसन हुसैन का कर्बला में वध हुआ था पर इन दोनों युद्धों के विजेताओं का इतिहास कहाँ है?
सिकंदर ने भारत में एक भी राजा को नहीं हराया। आंभीक से उसका युद्ध नहीं हुआ , मगध के हाथियों की सेना का नाम सुनते ही काँप गया। पुरु के पराजय की झूठी कहानी गढ़ी गई जिसकी अब एक एक परत अनावृत्त हो चुकी है। फिर भी तथाकथित इतिहासकारो ने वह महान् बताया है।
मुगल सेना राजपूतों से बार बार पराजित हुई। यहाँ तक कि उसे जीवित रखने के लिए एक राजपूत मानसिंह की ही शरण लेनी पड़ी। खिलजियों से दिल्ली से सटा हरियाणा भी न जीता गया। युद्ध किए पर मुँह की खाई।
सुहेलदेव से पराजित गाजी का मेला लग जाता है और विजयनगर की विजयों का उल्लेख नहीं किया जाता। जबकि उसने अपने आस पास के चार मुसलमानी राज्यों को बार बार पराजित किया।
सात सौ साल शासन करने के बाद भी ये जम्मू और पंजाब का बाल नहीं बांका कर सके।
पर इनकी छोटी छोटी विजयों के किस्से गढ़े गए और बड़ी बड़ी पराजयों पर चादर डाल दी गयी और इस धूर्तता को नाम दिया गया मध्यकालीन इतिहास।
ऐसे लोगों के कारण ही भारत भूमि में बाहरी आक्रांताओं ने अपना आधिपत्य स्थापित किया। हिन्दुओं के ऐसे ही अंश द्वारा मुगल वंश अंग्रेजों और पुर्तगालियों को शह दी और खुद गुलाम कहलाये। अभी भी जो सेक्यूलर होने का दावा करते हैं वह यही लोग हैं। यह क्या पढ़े लिखे लोग हैं।सारा इतिहास सामने आ रहा है फिर भी ऐसे समुदाय से भाई चारे की बात करते हैं। हमारे उत्तराखंड में इन्हीं लोगों के कारण और इनकी मदद से ही मुस्लिम समुदाय को अपने पांव पसारने का अवसर मिला और उन्होंने लाभ उठाया। देवभूमि मल्लेछ भूमि की ओर अग्रसर होने जा रही थी परन्तु अब ऐसा नहीं होगा। उत्तराखंड समाज में जागृति आने लग गई है।
तुर्की कभी एक जाहिल इस्लामिक देश था, किंतु आज एक तरक्कीशुदा और मॉडर्न देश बन चूका है! इसे मॉडर्न बनाने का श्रेय जाता है, वहां के एक राष्ट्रपति मुस्तफा कमाल अतातुर्क को!
कमाल ने  अरबी भाषा के अरबी कुरआन को प्रतिबंधित कर इसे अपने देश के लिए तैयार की गयी लैटिन भाषा में तब्दील कर दिया! सिर्फ दस साल के अंतराल में ये देश मॉडर्न देश बन गया!
अरबी जड़ों से काट के तुर्की आत्मसमान को जागृत किया गया!
उन्होंने देश के शिक्षाविदों से पूछा – हम कितने दिनों में पूरे देश को नयी तुर्की लिपि सिखा सकते हैं?
चार पांच साल में ?
राष्ट्रपति ने कहा 3 से 5 महीने में करो ये काम!
उन्होंने कुरआन शरीफ को नयी तुर्की लिपि में लिखवाया ! मस्जिदों से अरबी अजान बंद कर दी गयी! अब अजान तुर्की भाषा में होने लगी! अतातुर्क ने कहा – हमें अरबी भाषा में कुरआन रटने वाले मुसलमान नहीं चाहिए, बल्कि तुर्की भाषा में कुरआन समझने वाले चाहियें!
इस्लामिक शरियत की शरई अदालतें जो सदियों से चली आ रही थीं, बंद कर दी गयीं और तुर्की का नया कानून लागू किया गया!
इसके बाद मुस्लिम सिविल कोड को खत्म कर Turkish सिविल कोड बनाया! ज़ुबानी तलाक गैर कानूनी कर दिया और चार शादियाँ गैर कानूनी कर दीं! परिवार नियोजन अनिवार्य कर दिया!
अतातुर्क ने पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था बदल दी! नयी तुर्की लिपि में पाठ्य पुस्तकें लिखी गयीं!
हुआ यह कि सिर्फ 2 सालों में देश में साक्षरता दर 10% से बढ़ के 70 % हो गयी!
अतातुर्क ने देश के इस्लामिक पहनावे और रहन सहन को बदल दिया! इस्लामिक दाढ़ी, कपडे, पगड़ी पर रोक लगा दी! पुरुषों को पगड़ी की जगह टोप पहनने की हिदायत दी गयी! महिलाओं के लिए नकाब बुर्का प्रतिबंधित कर दिया! देखते देखते महिलाएं घरों से बाहर आ के पढने लिखने लगीं और काम करने लगीं!
पर्दा फिर भी पूरी तरह ख़तम न हुआ, तो अतातुर्क ने एक तरकीब निकाली – वेश्याओं के लिए बुर्का और पर्दा अनिवार्य कर दिया ! इसका नतीजा ये निकला कि जो थोड़ी बहुत महिलाएं अभी भी पर्दे में रहती थीं, उन्होंने एक झटके में पर्दा छोड़ दिया! अतातुर्क ने रातों रात देश की महिलाओं को इस्लामिक जड़ता और गुलामी से मुक्त कर दिया!
महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा दिया! १९३५ के आम चुनावों में तुर्की में 18 महिला सांसद चुनी गयी ! ये वो दौर था जब अभी बहुत से यूरोपीय देशों में महिलाओं को मताधिकार तक न था,
मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने सिर्फ 10 साल में इस्लामिक ओटोमन एम्पायर के एक जाहिल देश को एक मॉडर्न देश बना दिया!
भारत के मुसलमानो, आज एक मौक़ा तुम्हें भी मिल रहा है, इस्लामिक जहालत से मुक्त होने का, मदरसों से हटा के अपने बच्चों को स्कूल भेजो !
आज भारत में भी एक अतातुर्क आया है जो आपको एक सम्मानजनक जीवन देना चाहता है ! अब जो भी फैसला करोगे वो तुम्हारे बच्चों के लिए होगा! तुम भी तरक्की करोगे और तुम्हारी संतानें भी!
साभार
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