- बीच में टीबी की दवा छोड़ने पर हुई मुश्किल, अब दूसरों को इलाज न छोड़ने की दे रहे सलाह
- जनपद में 693 डी.आर (दवा प्रतिरोधी) टीबी मरीजों का चल रहा उपचार
आगरा,
जनपद के ताजगंज स्थित पुरानी मंडी निवासी नरेंद्र सिंह सिकरवार को टीबी संक्रमण हो गया था। डॉट सेंटर से उनका इलाज शुरू हो गया। दो माह बाद उन्होंने दवा छोड़ दी। 15 दिन तक दवा न खाने से उनकी समस्या और ज्यादा बढ़ गई। इसके बाद उनका दोबारा से इलाज शुरू हुआ। इस बार नरेंद्र ने दवाएं नहीं छोड़ी और वह स्वस्थ हो गए। अब वह टीबी चैंपियन बन अन्य टीबी मरीजों को जागरुक कर रहे हैं।
नरेंद्र ने बताया कि टीबी का उपचार बीच में छोड़ने के बाद दोबारा से परेशानी होने लगी तो वह दोबारा से डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने कहा कि बीच में इलाज छोड़ने से स्थिति और गंभीर हो जाती है। नरेंद्र को यह बात समझ में आई और उन्होंने दोबारा इलाज शुरू किया, नियमित उपचार के बाद वह टीबी मुक्त हो गए।
नरेंद्र ने बताया कि तभी से उन्होंने ठाना कि वह लोगों को बताएंगे कि टीबी का उपचार बीच में न छोड़ें। इसे बीच में छोड़ने से मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाती हैं। नरेंद्र ने बताया कि वह इसके बाद टीबी मरीजों को अपनी आपबीती साझा करने लगे और उन्हें जागरुक करने लगे। विभाग द्वारा शुरू की गई टीबी चैंपियन योजना में उन्हें फरवरी 2021 में शामिल कर लिया गया। नरेंद्र अब तक 200 मरीजों की काउंसलिंग कर चुके हैं। इनमें से अब तक 130 टीबी रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। अन्य रोगियों का उपचार चल रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी का उपचार एवं जांच की सुविधा उपलब्ध है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने बताया कि बीच में टीबी का इलाज छोड़ने से एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी होने की आशंका रहती है। आमतौर पर टीबी का उपचार छह से नौ माह तक चलता है। जबकि एमडीआर टीबी के उपचार के दौरान लगभग दो साल तक दवाएं खानी पड़ती हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में इस वक्त 693 डी.आर (दवा प्रतिरोधी) टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक शशिकांत पोरवाल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को हल्का बुखार, खांसी, कमजोरी, वजन कम होने लगना आदि हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं।
जिला पीपीएम समन्वयक अरविंद यादव ने बताया कि टीबी ग्रसित व्यक्ति अपनी बीमारी को छिपाएं नहीं, यह एक आम बीमारी है और इसका उपचार पूर्णतया संभव है। उन्होंने कहा कि टीबी ग्रसित रोगियों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए जिससे आसपास के लोग संक्रमित ना हो सकें।
टीबी के प्रमुख लक्षण :
-दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना।
-खांसी के साथ बलगम व बलगम के साथ खून आना।
-वजन का घटना।
-बुखार व सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार होना।
-रात में पसीना आना ।
-भूख कम लगना।