बाजरा, रागी, कुटकी, संवा, ज्वार, कंगनी, चना और कोदो अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज घोषित

संयुक्त राष्ट्र संघ

बाजरा, रागी, कुटकी, संवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 के लिए अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज घोषित किया है।

भारत के प्रस्ताव और 72 देशों के समर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाजरा, ज्वार, कोदो समेत 8 मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज घोषित किया है।

मोटे अनाज के सेवन से डायबिटीज, कैल्शियम और पोटेशियम की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। भारत में मोटे अनाज की खेती दुनिया में कुल खेती का 20 फीसदी होता है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में साल 2020-21 में मोटे अनाज की उपज में 7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी भी मन की बात में मोटे अनाज के उपयोग पर जोर दे चुके हैं।

पीआईबी के मुताबिक भारत में राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्‍य प्रदेश में सबसे अधिक मोटा अनाज की उत्पादन होता है। इनमें बाजरा, ज्वार, रागी और कोदो की फसल प्रमुख है।

मध्य प्रदेश में कोदो, कुटकी, बाजरे और ज्वार की खेती होती है। केंद्र के डेटा के मुताबिक राज्य के 20 से अधिक जिलों में मोटे अनाज की खेती होती है। राज्य का डिंडोरी जिला मोटा अनाज उत्पादन और खेती के लिए चर्चित रहा है।

कर्नाटक में मोटा अनाज की खेती करीब 26 लाख हेक्टेयर में की जाती है। चित्रदुर्ग, बेल्लारी, कोप्पल, बेलगावी और तुमकुरू राज्य के टॉप-5 ऐसे जिले हैं, जहां 2021 में सबसे अधिक मोटा अनाज की खेती हुई है।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 69 हजार हेक्टेयर में खेती की जाती है। राज्य में करीब 12 जिलों में मोटे अनाज की खेती हो रही है। इनमें सरगुजा और राजनंदगांव जैसे प्रमुख जिले भी शामिल हैं।

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