यूपी में एक विधायक हैं। जाति है मिश्रा। क्योंकि वह ब्राह्मण हैं सवर्ण हैं – बस इसिलिए दोषी हो गये।
विश्वासघात को प्यार का नाम ना दो !
अब आप मामला देखिये –
उनकी एक बेटी है 19 वर्षीय साक्षी मिश्रा। अर्थात बहकती उम्र । विधायक जी नें अपने कार्यालय में अजितेष नाम के एक व्यक्ति को नौकरी पर रखा हुया था। जिसकी उम्र है करीब 38 साल ।
अजितेष विधायक जी के घर पर आता रहता था, बेटे की तरह ही व्यवहार मिलता था, बहुत बार घर पे साथ बैठ के एक ही टेबल पर खाना भी खाया उसनें ।
दुर्घटनावश एक हाथ की 4 उँगलियाँ कट जाने के बाद से कम्प्यूटर पर भी सही से काम नही कर पाता था तो विधायक जी नें नौकरी से निकालने के बजाय दूसरे कार्य जैसे कॉल अटेंड करना या ब्रीफिंग करना की जिम्मेदारी दे दी।
विश्वास इतना कि विधायक जी कई बार बाहर होस्टल में पढ़ने वाली अपनी 17 साल की बेटी के एस्कोर्ट के तौर पर भी 36 वर्षीय अजितेष को भेज देते थे । पर इन 2 सालों में अजितेष ने साक्षी (बेटी) को अपने प्रेम जाल में लपेट लिया । घर में किसी को पता नही चला और दौनों प्रेम की पींगे बढ़ाते रहे ।
एक दिन अचानक से साक्षी घर से अपने कपड़े और कुछ निजी सामान ले कर निकली तो माँ नें पूछा कि कहाँ जा रही है तो बताया कि कॉलेज शुरु हो गये हैं होस्टल जा रही हूँ, अजितेष छोड़ने जा रहा है” ।
शाम तक जब बेटी का फोन नही आया तो माँ ने फोन लगाया – फोन स्विच ऑफ़ । अजितेष को लगाया तो उसका भी स्विच ऑफ़ । किसी अनहोनी की आशंका से माँ ने विधायक पति और बेटे को सूचित किया । सभी लोग सकते में आ गये । बिटिया की खोज परख चालू की गई । पता चला होस्टल तो पहुंची ही नहीं है ।
राजनैतिक दुश्मनी के कारण किसी नें अपहरण तो नही कर लिया ये सोच के हर तरह के सम्पर्कों को सूचित करके जानकारी के लिये कहा ।
कुछ लोगों ने अजितेष के घर जा के भी पूछताछ की ।
2 दिन बाद अचानक से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुया जिसमें साक्षी कह रही थी “मैं और मेरे पति अजितेष नें अपनी मर्जी से मंदिर में 7 फेरे ले के शादी की है और मेरे विधायक पिता, भाई और माँ हम दौनों को जान से मारना चाहते हैं क्योंकि मेरे पति एक *दलित* हैं और मेरे पिता और परिवार को दलित से शादी मंजूर नहीं। ”
बस ! मीडिया को मसाला मिल गया ।
आनन फानन में आजतक चैनल की अंजना ओमकश्यप नें साक्षी और अजितेष को चैनल पर बुलाया और लेने लगी उनका साक्षात्कार।
एक बदहवास माँ, किंकर्तव्यविमूढ़ पिता और बेबस भाई की मजबूरी और लाचारी को समझे बिना, पूरे मामले की हकीकत समझे बिना, किसी तथ्य को परखे बिना – एक सवर्ण विधायक द्वारा ब्राह्मण होने के कारण एक दलित से बेटी के प्रेम को स्वीकार ना करने और ऑनर किलिंग का प्रयास करने का तड़का लगाते हुये शुरु कर दी – पूरे परिवार की छीछालेदर।
घटिया मीडिया ने पूरे मामले को सवर्ण बनाम दलित बना के रख दिया । पूरे परिवार को महिलाओं की आज़ादी का दुश्मन, रूढ़िवादी सवर्ण, जातिवादी भेदभाव करने वाला सिद्ध कर दिया – वो भी एक राष्ट्रीय चैनल पर ।
अब कुछ और तथ्य :
▪ विधायक परिवार को बेटी के प्रेम सम्बंध का पता ही नहीं था, इसलिये स्वीकार करने या ना करने का सवाल कैसे उठा ?
▪ एक बाप, माँ, भाई होने के नाते यदि आपको पता चले कि आपकी बेटी अपने से 2 गुणी उम्र के एक ऐसे व्यक्ति के साथ प्रेम करती है जो
•• बेरोजगार है।
बताया जा रहा है कि उसके सर पर बाजार की 1.5 करोड़ की उधारी बकाया है।
•• जो एक बार पहले भी एक लड़की से
सगाई कर चुका है और वो रिश्ता
इसलिये टूटा कि लड़की वाले इच्छित
मात्रा में दहेज देने में असमर्थ थे।
जरा सोचिए तो क्या आप अपनी बहन, बेटी का हाथ ऐसे लडके के हाथ में देंगे ?
उस पर भी विधायक जी का ये बयान कि “बेटी बालिग है, वो जैसे चाहे जहाँ चाहे रह सकती है, हमें कोई आपत्ति नहीं है ” के बाद आप और क्या चाहते हैं एक बाप से, एक परिवार से ?
ऐसे मीडिया का बहिष्कार करके ये संदेश दीजिये कि इनकी घिनौनी TRP की भूख समाज को विकृति की ओर ले जा रही है और हम इसका समर्थन नहीं कर सकते ।