- बीसीएम के नेतृत्व में गठित स्वास्थ्य टीम ने कैदियों को खिलाई अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा
- शत-प्रतिशत कैदियों को गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा खिलाई जाएगी दवा
जमुई-
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा घर-घर जाकर लोगों को अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा खिलाई जा रही है। ताकि एक भी लोग दवाई खाने से वंचित नहीं रहें और अभियान सफल हो सके। इसी कड़ी में शुक्रवार को जमुई मंडल कारा में एमडीए अभियान का शुभारंभ हुआ। जहाँ मंडल कारा के काराधीक्षक समेत अन्य अफसरों ने बीसीएम सुनील कुमार एवं पीसीआई के जिला प्रतिनिधि पुंजय शाही के नेतृत्व में दवा खाकर अभियान की शुरुआत की। इसके बाद गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा तय मानकों के अनुसार जेल के कैदियों को दवा खिलाई गयी । वहीं, इस मौके पर बीसीएम ने कहा, फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा का सेवन बहुत जरूरी है। इसलिए, मैं तमाम कैदियों एवं पूरे जिले वासियों से अपील करता हूँ कि निश्चित रूप से पूरी तरह निःसंकोच होकर दवा खिलाने वाली टीम के सामने दवा का सेवन करें। इस बीमारी से बचाव के लिए दवाई का सेवन और सतर्कता ही सबसे कारगर और बेहतर कदम होगा।
- घर-घर जाकर दो वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को खिलाई जा रही है अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा :
पीएसआई के जिला प्रतिनिधि पुंजय शाही ने बताया, जिले में 10 फरवरी से एमडीए अभियान की शुरु आत हुई । इसके बाद से ही गृह भेंट की तर्ज पर आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को खुद के सामने अल्बेंडाजोल एवं डीईसी की दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया, 2 से 5 साल तक के बच्चों को 100 मिलीग्राम की डीईसी एवं 400 मिलीग्राम की अल्बेंडाजोल की एक-एक गोली, 6 से 14 साल तक के किशोरों को डीईसी की दो एवं अल्बेंडाजोल की एक गोली एवं 15 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी की तीन गोलियां एवं अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलायी जानी है। वहीं, उन्होंने बताया, गठित स्वास्थ्य टीम द्वारा जेल के शत-प्रतिशत कैदियों को दवाई खिलाई जाएगी। - फाइलेरिया क्या है ?
- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
- फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर में सूजन (हाँथीपाँव) व हाईड्रोसील (अण्डकोष में सूजन) है।
- किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं।
- इन बातों का रखें ख्याल :
- भूखे पेट दवा नहीं खिलानी है।
- किसी के बदले किसी अन्य को दवा ना दें और स्वास्थ्य कर्मी के सामने दवा खाएं।
- गर्भवती महिलाओं को दवा नहीं खिलानी है।
- 02 वर्ष छोटे बच्चे को दवा नहीं खिलानी है।
- गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को भी दवा नहीं खिलानी है।
- फाइलेरिया से बचाव के उपाय :
- सोने के समय मच्छरदानी का निश्चित रूप से प्रयोग करें।
- घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
- अल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।