कोरोना संक्रमण से उबर चुके लोगों को टीबी से संक्रमित होने का खतरा अधिक, रहें सावधान

  • लगातार कई दिनों तक खाँसी रहने पर तत्काल कराएं जाँच
  • जिलाभर के सभी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध है टीबी जांच की सुविधा
  • टीबी के मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि

मुंगेर-

कोरोना संक्रमण से उबर चुके लोगों को टीबी से संक्रमित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। मालूम हो कि दोनों बीमारियों के लक्षण भी करीब- करीब एक जैसे ही मिलते-जुलते होते हैं। जिसके कारण बीमारी का सही पता लगाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कोरोना से उबर चुके मरीजों के लिए यह दौर विशेष सतर्कता बरतने का है। क्योंकि इन मरीजों का इम्युन सिस्टम बहुत ही कमजोर होता है जिसके ऐसे लोगों में टीबी संक्रमण का खतरा अन्य मरीजों कि तुलना में अधिक हो जाता । ऐसे में सबसे जरूरी है कि मरीजों की दवा का क्रम कभी नहीं टूटे। मालूम हो कि कोरोना में लगातार तेज बुखार और खांसी आती है, जबकि टीबी का मुख्य लक्षण थकावट, आम बुखार, वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीना आना आदि है।

टीबी का लक्षण महसूस होते ही तत्काल कराएं जांच –
मुंगेर जिला के टीबी/एचआईवी कॉर्डिनेटर शलेंदु कुमार ने बताया कि टीबी का लक्षण महसूस होते ही ऐसे मरीजों को बिना देर किए अपनी टीबी की जाँच करवानी चाहिए। जिला के सदर अस्पताल से लेकर प्रखंड स्तर पर कार्यरत सीएचसी/पीएचसी स्तर पर टीबी की निःशुल्क जांच, उपचार और दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ टीबी के मरीजों को सही पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से 500 रुपए प्रति माह के अनुसार सहायता राशि भी दी जाती है।

अनावश्यक यात्रा से करें परहेज –
उन्होंने बताया कि टीबी से संक्रमित मरीजों को अनावश्यक यात्रा से बचना चाहिए। इसके अलावा भीड़-भीड़ वाली जगहों पर भी जाने से परहेज बरतते हुए धूलकण से बचाव के लिए हर आवश्यक पहल करनी चाहिए।

टीबी से बचाव के उपाय:-
: 1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाकर टीबी की जांच करवानी चाहिए और दवा की पूरी कोर्स लेते हुए डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद नहीं करनी चाहिए।

  • भीड़भाड़ वाले स्थान पर जाने पर हमेशा मास्क का प्रयोग करें और हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
  • टीबी के मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां- वहां बिलकुल भी नहीं थूकें।
  • टीबी के मरीज हमेशा हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। इसके साथ ही एसी के प्रयोग से परहेज करें ।
  • हमेशा पौष्टिक खाना खाएं और नियमित व्यायाम और योगाभ्यास करें ।
  • हमेशा बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • हमेशा भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

ये हैं टीबी के लक्षण:-

  • भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती , सीने में दर्द का एहसास , थकावट व रात में पसीना आना।
  • हलका बुखार रहना, हरारत ।
  • खांसी आते रहना, खांसी में बलगम तथा बलगम में खून का आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
  • गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
  • महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
  • टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
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