*🚩अखंड भारत संकल्प दिवश १४ अगस्त*
*🚩सनातन धर्मराष्ट भारत एक रहस्य –
अखण्ड भारत*
*🚩🌎भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था !*
*🚩अखंड भारत में आज के अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका आते है केवल इतना ही नहीं कालांतर में भारत का साम्राज्य में आज के मलेशिया, फिलीपीन्स, थाईलैंड, दक्षिण वियतनाम, कंबोडिया ,इंडोनेशिया आदि में सम्मिलित थे। सन् 1875 तक (अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका) भारत का ही हिस्सा थे*
*अंग्रेजों की घटिया चल ने भारत को खंड खंड में विभाजित क्र दिया*
🚩🙏हिंदू राष्ट्रवादियों ने लंबे समय से वृहत भारत सपना देखा है। वे प्राचीन भारत – अखण्ड भारत (अविभाजित भारत) और हिंदू राष्ट्र (हिंदू राष्ट्र) के आकार और महिमा से मेल खाने वाले देश के पुनर्निर्माण की इच्छा रखते हैं।
🚩💁♂आरएसएस और बीजेपी नेताओं ने अक्सर इन लक्ष्यों के लिए भारत के धर्मनिरपेक्षतावादियों के लिए बहुत कुछ किया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों परियोजनाएं साहसी हैं और कई हिंदुओं को उत्साहित करती हैं।
*🚩🏹बिना सेना और जंग के भारत ने 2000 साल पहले बनाया था अखण्ड भारत🏹🚩*
*🚩दो सदियां पहले साउथ-ईस्ट एशिया के कई देशों में हिंदू संस्कृति का प्रचार हुआ था। वहां के निवासी हिन्दू संस्कृति में रंग गए थे। इस पूरे क्षेत्र को ग्रेटर इंडिया (वृहत भारत) कहा जाता है।*
*🚩ग्रेटर इंडिया में भारत समेत ऐसे देश थे, जिनपर भारतीय संस्कृति का प्रभाव था। इसमें बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, चंपा (दक्षिणी वियतनाम), मलेशिया, ब्रुनेई और इंडोनेशिया शामिल थे। इन सभी देशों में आज भी हिंदू संस्कृति की छाप साफ देखी जाती है।* (मैप में देखें)
*🚩व्यापार और धर्म का रास्ता था ग्रेटर इंडिया*
👉उस समय भारत के व्यापारी नए मौकों की तलाश में दुनियाभर में यात्राएं करते थे। वह सोने की खोज में इंडोनेशिया और कंबोडिया की यात्रा पर जाते थे। इतिहास में उनके जावा, सुमात्रा और मलाया द्वीपों की यात्रा के प्रमाण मिलते हैं। इसलिए प्राचीनकाल में इसे ‘सुवर्ण द्वीप’ कहा जाता था। सुवर्ण का मतलब होता है सोना यानी सोने का द्वीप।
*🚩ठीक उसी दौर में भारत ने धर्म के प्रचार के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया देशों तक ग्रेटर इंडिया रूट विकसित किया था। यही वजह है कि हजार सालों में इस इलाके में भुगोल और इतिहास बदलने के बाद भी संस्कृति छाप बरकरार है।
साभार संकलन
जो खोया उसका ध्यान रखें