30 अप्रैल 2006 की वो काली रात जो कभी भुलाई नहीं जा सकती

30 अप्रैल 2006 की वो काली रात जो कभी भुलाई नहीं जा सकती। रात के करीब ढाई बजे जब लोग अपने घरों में सो रहे थे तभी दरवाजे पीटने की आवाजें सुनवाई देनी लगती है। दरवाजे खुलते हैं तो सामने सेना के भेष में भेड़िए खड़े मिलते हैं। ये भेड़िए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे।

आतंकियों को देख चीख पुकार मच जाती है। ये आतंकी लोगों से उनका धर्म पूछ रहे थे। जिसने कहा ‘मैं हिंदू हूं’ उसको लाइन में खड़ा कर दिया। आतंकियों ने कुलहंड के आसपास करीब सात बस्तियों पर हमला किया था। आतंकियों ने हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया। इस नरंसहार में 22 लोग मार दिए गए।

वह मंजर इतना भयावह था कि हर किसी की रूह कांप उठी थी। चश्मदीद बताते हैं कि अगले दिन जब शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया तो एक डॉक्टर को शव देखकर हार्ट अटैक आ गया।

आतंकियों ने उस दिन उधमपुर जिले के ललन गल्ला गांव पर भी हमला किया. यहां आतंकियों ने 35 हिंदू चरवाहों को किडनैप कर गोलियों से भून दिया। इस दौरान कुछ लोग जंगलों में भाग गए थे, लेकिन बाद में आतंकियों ने उनकी जंगलों में ही हत्या कर दी।

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