इनोवेशन का पावरहाउस बनने वाला है भारत, रिसर्च और नई खोज को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे नए पेटेंट रजिस्ट्रेशन में तेजी आई है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाली एक एनजीओ नैसकॉम (NASSCOM) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती प्रौद्योगिकियों में पेटेंट फाइलिंग भारत में गति प्राप्त कर रहा है। ये रिपोर्ट कहती है कि वित्तीय वर्ष 2022 में भारत के पेटेंट फाइलिंग में जबरदस्त उछाल आया है। इस साल भारत के पेटेंट फाइलिंग में 13.6% सालाना वृद्धि हुई है। भारत के पेटेंट फाइलिंग के मामले में हाल के दशकों में यह सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि है। 2022 में पेटेंट फाइलिंग के 82 हजार से ज्यादा आवेदन किए गए।
2010 से 2022 के बीच बिल्डिंग ऑटोमेशन, स्मार्ट वियरेबल्स जैसे उभरते तकनीक के लिए AI और IoT (Internet of things) से संबंधित भारत के पेटेंट फाइलिंग में हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा रही।वर्ष 2010 और 2022 के बीच 5,84,000 पेटेंट फाइलिंग हुई इनमें से 2,66,000 पेटेंट फाइलिंग प्रौद्योगिकी डोमेन से थे। इन प्रौद्योगिकी डोमेन से जुड़े मामलों में 1,60,000 उभरती प्रौद्योगिकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI), IoT, Big Data, साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन से जुड़े हैं।
केंद्र सरकार ने 12 मई 2016 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति को अपनाई थी। उसके बाद से देश में पेटेंट फाइलिंग को लेकर धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी है। सरकार की ओर से बौद्धिक संपदा या पेटेंट फाइलिंग में मदद के लिए आईपी फैसिलिटेटर्स भी बनाए गए हैं। इन्हें IP मित्र के नाम से भी जाना जाता है।
स्टार्ट-अप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) योजना के तहत सरकार वित्तीय मदद भी करती है। हम सब जानते हैं कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। पेटेंट के लिए दाखिल आवेदनों को मंजूरी देने में लगने वाले समय को 72 महीनों से घटाकर 12 से 24 महीने किया जा चुका है।
वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) ने पेटेंट को परिभाषित करते हुए कहा है कि जब कोई आविष्कार करता है, या संगीत, साहित्य, नाम, डिजाइन या फिर किसी कला की खोज करता है तो उसका कॉपीराइट, ट्रेडमार्क या पेटेंट कराता है तो पेटेंट या कॉपीराइट मिलने पर उन खोज पर उस व्यक्ति या संस्था का अधिकार होता है और उसके इजाजत के बिना उस खोज का इस्तेमाल कोई दूसरा अपने लाभ के लिए नहीं कर सकता है।