केरल में कोट्टायम जिले के कैपपुझा गांव में हर मकान है महल जैसा, फिर भी सभी खाली

केरल में कोट्टायम जिले के कैपपुझा गांव में हर मकान है महल जैसा, फिर भी सभी खाली पड़े हैं। इन महलनुमा घरों में कोई नहीं रहता, इनमें ताले लगे हुए हैं। यहाँ के सभी लोग NRI हैं और सभी विदेशों में रहते हैं।

इस गांव में रहने वाले सभी लोग एनआरआई है. उन्होंने यहां पर खूब पैसा खर्च किया। कहने को तो ये गांव है मगर शहर को मात देने वाली टाउनशिप यहां पर डेवलप हो गई है। इस गांव में हर तरह की सुविधाएं भी हैं। ये महलनुमा मकान अब बिकने को भी तैयार है।

यहां पर कनाया कैथोलिक समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है। इस समुदाय के लोगों ने 1950 के दशक की शुरुआत में ही नौकरी के लिए विदेश जाने लगे थे। इसकी शुरुआत कनाया समुदाय ने की लेकिन मध्य केरल में अब अन्य समुदाय के लोग भी पलायन कर रहे हैं। NRI भारतीयों के बड़े-बड़े घर कुडुथुर्थी, उझावूर, कारिनकुन्नम में हैं मगर ये सभी खाली हैं। जो लोग विदेशों में बस गए उनका प्लान है कि रिटायरमेंट के बाद जीवन यहीं पर बिताएंगे। अब वो लोग विदेशों से वापसी करेंगे तो यहां पर रहेंगे। लेकिन उनके बच्चे अब यहां नहीं आना चाहते। वो अब वहीं पर बस गए हैं। बहुत से बच्चों के मां-बाप गुजर गए हैं और अब वो विदेशों से भारत आना नहीं चाहते।

अब वे अपने महलनुमा मकानों को बेचना चाहते हैं लेकिन उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं। मध्य केरल में रहने वाले एक शख्स बताते हैं कि रियल एस्टेट साइट्स एडवरटाइजमेंट से भरा पड़ा है। ज्यादातर घर वो ही हैं जो महलनुमा हैं। इनकी कीमतें भी ज्यादा हैं। एक करोड़ रुपये और इससे अधिक इनकी कीमत है। कुछ मकान तो आधी कीमत में भी बिकने को तैयार हैं।

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