प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 7 मे शामिल होने के बाद ऑस्ट्रेलिया जाएंगे और साथ ही बीच में पड़ने वाले 14 द्वीपो वाले देश पापुआ न्यू गिनी का भी दौरा करेंगे। यह एक अंजान से देश है लेकिन भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री कल यानी 22 मई को पापुआ न्यू गिनी के पीएम जेम्स मरापे से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। ऐसे में मन में ये सवाल उठ सकता है कि आखिर पीएम नरेंद्र मोदी का इस छोटे से द्वीप का दौरा इतना अहम क्यों है? दरअसल प्रशांत महासागर में चीन लगातार नई नई चाल चल रहा है और इसी काट को ढूंढने के लिए पीएम मोदी पापुआ न्यू गिनी जा रहे हैं।
इस सम्मेलन में प्रशांत महासागर के 14 द्वीप देश भी शामिल होंगे. फिजी, कुक आइलैंड्स, किरिबाती, सामोआ, टोंगा, तुआलु और वानुअतु जैसे देश भी इसमें शामिल होंगे। दरअसल चीन की ‘नापाक’ निगाहें पापुआ न्यू गिनी समेत इन्हीं 14 छोटे-छोटे द्वीपों पर है।
प्रशांत महासागर में आने वाले द्वीप देशों में पापुआ न्यू गिनी बडा भाई है। करीब 4.62 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला पापुआ न्यू गिनी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप देश है जिसकी आबादी करीब एक करोड़ है। चीन इस देश पर नजर गड़ाए बैठा है। इसके दो कारण हैं, एक तो यहां सोने-तांबे समेत खनिज का विशाल भंडार है और दूसरा, प्रशांत महासागर में चीन इन देशों को अपने मिलिट्री बेस बनाना चाहता है। यदि ऐसा होता है तो अगर ऐसा होता है तो ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और न्यूजीलैंड के लिए मुसीबतें बढ़ना तय है।
पापुआ न्यू गिनी दक्षिण प्रशांत महासागर और साउथ चाइना सी के बीच चीन के लिए ‘पुल’ की तरह काम कर सकता है। यह देश ऐसी जगह पर स्थित है, जहां से चीन दोनों जगहों पर अपना वर्चस्व कायम कर सकता है। इसके जरिए वह क्वाड देशों: भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के लिए खतरे की घंटी भी बजा सकता है।