नई दिल्ली।
केन्द्र सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाना आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने वाली पूंजीगत खरीद के प्रस्तावों को तेजी से मंजूरी दे रही है। इसके तहत ही पिछले तीन साल में ढाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के 160 से ज्यादा प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है। पिछले साल अक्टूबर तक रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे 366 कंपनियों को रक्षा जरूरतों से जुड़े सामानों के उत्पादन के लिए कुल 595 औद्योगिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में जो रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर बनाए गए हैं, उनके जरिए एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। इन कॉरिडोर की वजह से देश में देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने व्यापक इकोसिस्टम बनाने में मदद मिल रही है।
पिछले साल तक उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में 2,242 करोड़ रुपये और तमिलनाडु डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर 3,847 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता में रखने की वजह से ही पिछले कुछ वर्षों से देश में ही अत्याधुनिक रक्षा उत्पाद भारत में बन रहे हैं। इनमें 155 मिमी आर्टिलरी गन सिस्टम ‘धनुष’, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम ‘आकाश’ के साथ ही मेन बैटल टैंक ‘अर्जुन’ शामिल हैं।
इनके अलावा टी-90 टैंक, टी-72 टैंक, बख़्तरबंद कार्मिक वाहक ‘BMP-II/IIK’, Su-30 MK1, चीता हेलीकॉप्टर, एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर, डोर्नियर Do-228 एयरक्राफ्ट, हाई मोबिलिटी ट्रक का उत्पादन भारत में हो रहा है। साथ ही स्कॉर्पीन श्रेणी की 6 पनडुब्बियों के तहत आईएनएस वागीर, आईएनएस कलवरी , आईएनएस खंडेरी , आईएनएस करंज, आईएनएस वेला और आईएनएस वागशीर देश में बने हैं।