प्रधानमंत्री मुस्लिम देशों के दौरों में मस्जिदों में भी जाते हैं जिससे दुनिया में एक संदेश जाता है। राजनीतिक विश्लेषक सत्य नारायण पंत कहते हैं कि पीएम मोदी की काहिरा मस्जिद विजिट समेत दुनिया के अलग-अलग मुस्लिम देशों में की जाने वाली मस्जिद विजिट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि इंटरनेशनल स्तर पर जिस तरीके की भारत को लेकर साजिशें से की जा रही हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक और मुस्लिम देशों समेत कई विश्वविद्यालय में विजिटिंग फैकेल्टी प्रोफेसर अब्दुल जहीर कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री के ऐसे दौरे और मस्जिदों में जाना निश्चित तौर पर एक इमेज बिल्डिंग का काम तो करते ही हैं।
सियासी गलियारों में पीएम मोदी के काहिरा की अल हाकिम मस्जिद दौरे को लेकर सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। विदेशी मामलों के जानकार जहां इसको प्रधानमंत्री मोदी से अमेरिका में पूछे गए प्रश्न के बदले इस मस्जिद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश और उत्तर देने की बात मान रहे हैं। वहीं, देश में बोहरा समुदाय के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुस्लिमों को एक संदेश देने की कोशिश भी मानी जा रही है।
शेख जायद मस्जिद से लेकर चूलिया मस्जिद तक गए मोदी:
प्रधानमंत्री के मस्जिद दौरे को लेकर अखिल भारतीय पसमांदा समाज से जुड़े तौकीर अहमद कहते हैं कि पीएम मोदी ने जब जब अरब देशों में या मुस्लिम देशों का दौरा किया तो वहां पर प्रोटोकॉल और अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक मस्जिदों में भी गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में जब संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गए तो वह शेख जायद मस्जिद भी गए थे। 2018 में प्रधानमंत्री मस्कट की सुल्तान काबूस मस्जिद भी होकर आए थे। इस दौरान पीएम मोदी जॉर्डन और फलस्तीन समेत यूएई के दौरे पर थे। उसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इंडोनेशिया मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर गए तो वह सिंगापुर की चूलिया मस्जिद भी गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक इंडोनेशिया के जकार्ता में बनी इस्तिकलाल मस्जिद भी गए हैं