दुनिया के अनेक मुस्लिम देशों में पहले से ही लागू है UCC (एक देश एक कानून) फिर भारतीय मुस्लिमों को आपत्ति क्यों हो रही है। दरअसल इस कानून से आमजन को कोई आपत्ति है ही नहीं। यहाँ सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने की पड़ी हुई है। कुछ नेता कुछ राजनेता सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं , उन्हें देश से या देश की जनता से या उनकी भलाई या विकास से कोई लेना देना नहीं है।
कुछ घटिया किस्म के नेता जो सिर्फ एक घटिया सोच के साथ अपनी राजनीति की दुकान चला रहे हैं, केवल वही विरोध कर सकते हैं। कोई भी भारतीय जो थोडी भी समझ रखता है, समान नागरिक कानून का विरोध नहीं कर सकता है।
कांग्रेस ने इसे डिवाइडिंग सिविल कोड करार दिया है क्योंकि कांग्रेस तो मानसिक और राजनीतिक रूप से दिवालिया हो चुकी है तो उससे कुछ और उम्मीद करना भी व्यर्थ है। अतः जो वे बोल रहे हैं वो उनके स्तर पर उनका बैस्ट है।
दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने यूसीसी के विरोध का ऐलान कर दिया है। बोर्ड ने लॉ कमीशन को शरीया कानूनों का ड्राफ्ट सौंपने का फैसला किया है। इनकी भी मजबूरी है क्योंकि इनकी हजारों लोगों की दुकान भी तो लोगों को बेवकूफ बनाकर ही चलती है। ये कट्टर मुस्लिम हैं और देश ओर देश के विकास से इनका कोई सम्बन्ध नहीं है।
वहीं, आम आदमी पार्टी ने शर्तों के साथ इसके समर्थन का ऐलान किया है। ये मान सकते हैं कि केजरीवाल को कुछ तो समझ है। लॉ कमीशन यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट तैयार कर रहा है। लॉ कमीशन ने 30 दिनों के भीतर जनता से इसके लिए उनकी राय मांगी है। ईमेल आईडी के जरिए कोई भी शख्स यूसीसी के बारे में अपनी राय दे सकता है और लोग इस पर तेज़ी से अपनी राय भेज भी रहे हैं।