भारत में ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम जल्द शुरू किया जाएगा। केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने इस साल के लिए ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम नोटिफाई किया है। इसकी घोषणा केंद्रीय बजट में की गई थी। इस प्रोग्राम का उद्देश्य ऐसे लोगों, संस्थाओं को प्रोत्साहित करना है, जो पर्यावरण की रक्षा में आगे आकर काम कर रहे हैं या सहयोग कर रहे हैं।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम पूरी तरह से कॉर्बन उत्सर्जन में कटौती पर केंद्रित है, जो भी व्यक्ति, संस्था, कंपनी, निकाय कॉर्बन उत्सर्जन कटौती में मददगार होंगे, उन्हें इसका लाभ मिलेग। ग्रीन क्रेडिट पाने वाले इसे घरेलू बाजार में बेच सकेंगे और बदल सकेंगे।
पौधरोपण करके देश में हरियाली बढ़ाने में मदद करने वाली संस्थाएं इसका लाभ पाने की पात्र होंगी।
जल संरक्षण, जल संचयन, गंदे पानी को फिल्टर कर उपयोग योग्य बनाना, बढ़ावा देना. इससे संबंधित संस्थाओं को भी इसका लाभ मिलेगा।
जैव उर्वरकों का प्रयोग करना, मिट्टी की सेहत का ध्यान रखना, फसल के पोषण में सुधार करना, ऊसर-बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने वाले खेत किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा।
हवा में प्रदूषण को कम करने और इस दिशा में अन्य उपाय करने वाले इस योजना से लाभ पा सकेंगे। इसके अलावा मैंगरोव संरक्षण, ग्रीन बिल्डिंग निर्माण, कारखानों में प्रदूषण रहित पैकेजिंग आदि अपनाने वालों को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की देखरेख में ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम देश भर में चलाया जाएगा।
देश में अपनी तरह का यह पहला प्रोग्राम है, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करने वाले लोगों, संस्थाओं को महत्व देने जा रहा है। भारत साल 2070 तक शत-प्रतिशत शून्य कॉर्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है।