दुनिया की मशहूर कार कंपनी टेस्ला भारत मे आएगी तो भारत की शर्तों पर। पिछले महीने जब पीएम मोदी की यूएस विजिट के दौरान मस्क और मोदी की मुलाकात हुई थी तो ऐसा लग रहा था कि टेस्ला और मस्क के लिए भारत में रेड कार्पेट बिछाया जा चुका है। भारत ने साफ कर दिया है कि टेस्ला के लिए कोई नई पॉलिसी नहीं बनाई जाएगी। टेस्ला को उन्हीं शर्तों के साथ और उसी पीएलआई स्कीम के तहत आना होगा, जो भारत सरकार की है।
इलोन मस्क के लिए एक बड़ी समस्या सामने यह खड़ी हो गई है कि क्या वो भारत में एंट्री करें या फिर अपने प्लान को कुछ समय के लिए स्थगित कर दें? वास्तव में भारत की कंपनियां भी ईवी को लेकर काफी सजग और तेज हो गई हैं। खासकर टाटा ग्रुप बिल्कुल नहीं चाहेगा कि टेस्ला से उसका मुकाबला हो।
टाटा ग्रुप ईवी पर काफी आगे बढ़ गया है। इसी वजह से उसने भारत में फोर्ड को खरीदकर उसका बोरिया बिस्तर बंद कराया था। टाटा भी चाहता है कि भारत सरकार की पीएलआई स्कीम का ज्यादा से ज्यादा फायदा उसे मिले।
टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की मांग की थी। वास्तव में भारत पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स यानी कंप्लीटली बिल्ट यूनिट के रूप में इंपोर्टिड कारों पर इंजन एंड साइज लागत, इंश्योरेंस और फ्रेट (सीआईएफ) वैल्यू 40,000 अमेरिकी डॉलर से कम या अधिक के आधार पर 60 फीसदी से 100 फीसदी तक कस्टम ड्यूटी चार्ज करता है। टेस्ला इसी को कम या पूरी तरह से खत्म करने की बात कर रही है।
भारत सरकार इसी बात पर अड़ी हुई है कि सरकार इस तरह की ड्यूटी को बिल्कुल भी नहीं हटाएगी। ये नियम दुनिया की सभी कंपनियां पर लागू हैं, जो भारत में अपना सामान बेच रही हैं। सरकार कहना है कि अगर टेस्ला को भारत में काम करना है तो यही पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगानी होगी और सप्लाई चेन बनाना होगा।