जन विश्वास बिल के जरिए 42 कानूनों में बदलाव

लोकसभा में पास हो चुका जन विश्वास बिल अब राज्यसभा में पेश होगा। यह 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 कानूनों के 182 प्रावधानों को जेल की सजा से मुक्ति देगा। व्यापार में बदलाव के लिहाज से इस बिल को अहम बताया जा रहा है। जिसमें छोटे-मोटे कानून के उल्लंघन पर जेल की सजा न देकर आरोपी पर जुर्माना लगाया जाएगा।

इससे दो बड़े फायदे होंगे। पहला- देश में कारोबार करना आसान होगा. दूसरा- अदालतों का बोझ घटेगा। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़े कहते हैं, जुलाई 2023 तक कुल 4.4 करोड़ मामले लंबित हैं, इसमें से 3.3 करोड़ आपराधिक मामले हैं। इस नजरिए से देखें तो बिल के जरिए आपराधिक मामलों का बोझ घटेगा।

इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है-

सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000: इस कानून के तहत लागू धारा 66ए में प्रावधान है कि किसी भी तरह का आपत्तिजनक संदेश या गलत जानकारी भेजने पर पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है और दो साल की जेल हो सकती है। नए बिल में जेल की सजा को खत्म किया गया है और जुर्माना बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया है।

भारतीय वन अधिनियम, 1927:  जंगल के इलाके में अतिक्रमण लकड़ी काटने या नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है। ऐसे मामलों में 6 महीने की जेल और 500 जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन नए बिल में सजा खत्म करके अपराधी को केवल 500 रुपए जुर्माना देना होगा। हालांकि, इसको लेकर संसदीय समिति ने जुर्माना 500 से बढ़ाकर 5 हजार करने की बात कही थी।

रेलवे अधिनियम, 1989: अगर किसी ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर बिना परमिट भीख मांगते हुए या सामान बेचते हुए पकड़े जाते हैं तो एक साल की जेल और 2 हजार रुपए का जुर्माना वसूला जाता है। नए बिल में भीख मांगने वाले लोगों के लिए सजा का प्रावधान हटा दिया गया है।

वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 1981: वर्तमान में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल एरिया में अगर कोई ऐसे काम करता है जो प्रदूषण को बढ़ाता है तो जुर्माने के साथ 6 साल की सजा होती है, लेकिन नए बिल के तहत उसे सजा नहीं मिलेगी। सिर्फ ज्यादा से ज्यादा 15 लाख रुपए तक पेनाल्टी लगाई जा सकती है।

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