घर घर गीता पहुंचाने वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार जयंती पर नमन

जिसने घर-घर तक गीता पहुँचाया, धर्म की सेवा ‘घाटे का सौदा’ नहीं की सीख दी, उनकी जयंती पर नमन*

*🚩गीता प्रेस गोरखपुर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है- धर्मशास्त्रों के मुद्रण (छपाई) और वितरण में अग्रणी इस प्रकाशक की माली हालत भले ऊपर-नीचे चलती रहती हो, जो किसी भी व्यवसायिक संस्थान के साथ होता ही रहता है, लेकिन हिन्दू समाज में इसके जितना सम्मान शायद ही किसी संस्थान का हो।*

*🚩गीता प्रेस को इस स्तर तक पहुँचाने में जिनका योगदान सबसे अधिक रहा, उनमें से एक हैं “हनुमान प्रसाद पोद्दार” गीताप्रेस की मासिक पत्रिका *‘कल्याण’* के संस्थापक सम्पादक, और इसे अखिल-भारतीय विस्तार देने वाले स्वप्नदृष्टा, जिन्होंने यह मिथक तोड़ा कि धर्म के प्रचार-प्रसार के काम में आर्थिक हानि ही होती है, या इसमें पैसे का निवेश घाटे का सौदा ही होता है।*

*🚩बाइबिल के बराबर गीता का प्रसार करने के लिए शुरू की प्रेस*

*🚩अलीपुर जेल में श्री ऑरोबिंदो (उस समय बाबू ऑरोबिंदो घोष) के साथ बंद रहे पोद्दार ने जेल में ही गीता का अध्ययन शुरू कर दिया था। वहाँ से छूटने के बाद उन्होंने ध्यान दिया कि कैसे कलकत्ता ईसाई मिशनरी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था, जहाँ बाइबिल के अलावा ईसाईयों की अन्य किताबें भी, जिनमें हिन्दुओं की धार्मिक परम्पराओं के लिए अनादर से लेकर झूठ तक भरा होता था, सहज उपलब्ध थीं। लेकिन गीता- जो हिन्दुओं का सर्वाधिक जाना-माना ग्रन्थ था, उसकी तक ढंग की प्रतियाँ उपलब्ध नहीं थीं। इसीलिए बंगाली तेज़ी से हिन्दू से ईसाई बनते जा रहे थे।*

*🚩गीता प्रेस ने श्रीमद्भागवत गीता और रामचरितमानस की करोड़ों प्रतियाँ प्रकाशित और वितरित की हैं। गोरखधाम मन्दिर के प्रमुख और नाथ सम्प्रदाय के सिरमौर की पदवी को प्रेस का मानद संरक्षक नामित किया गया- यानी आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और नाथ सम्प्रदाय के मुखिया योगी आदित्यनाथ गीता प्रेस के संरक्षक हैं।*

*🚩गीता प्रेस की सबसे खास बात है कि इतने वर्षों में कभी भी उस पर न ही सामग्री (‘content’) की गुणवत्ता के साथ समझौते का इलज़ाम लगा, न ही प्रकाशन के पहलुओं के साथ- वह भी तब जब 60 करोड़ से अधिक प्रतियाँ प्रेस से प्रकाशित हो चुकीं हैं।*

*🚩न्यूनतम ज़रूरी मुनाफे के सिद्धांत पर चलता है ये संसथान:- आज तक वर्तमान में 200 कर्मचारियों के साथ काम कर रही गीता प्रेस गोरखपुर में पालित होता है। न ही गीता प्रेस पाठकों से बहुत अधिक मुनाफ़ा लेती है, न ही चंदा- और उसके बावजूद गुणवत्ता में कोई कमी नहीं।*

*🚩ठुकराया राय बहादुर और भारत रत्न, आज भी जारी अखंड रामचरित मानस पाठ*

*🚩हनुमान प्रसाद पोद्दार उन चुनिन्दा सार्वजनिक हस्तियों में रहे, जिन्होंने अंग्रेजों का राय बहादुर और आज़ादी के बाद भारत सरकार का भारत रत्न दोनों ही मना कर दिए। 22 मार्च, 1971 को उनकी मृत्यु हो जाने के बाद प्रेस के जिस कमरे में, जिस डेस्क पर बैठकर वह प्रेस के संचालन और ‘कल्याण’ के सम्पादन के साथ-साथ ‘शिव’ के छद्म नाम से पत्रिका में लेखन भी करते थे, वह डेस्क और कमरा आज भी अक्षुण्ण रखे गए हैं। उनके कमरे में आज भी अखंड रामचरित मानस पाठ बदस्तूर चलता रहता है, जिसके लिए लोग पालियों में भागीदारी करते हैं।*

साभार संकलन

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