कृमि मुक्ति दिवस 10 अगस्त को 19 साल तक के 22 लाख बच्चों को अल्बेंडेजोल की दवा खिलाई जाएगी

  • एक से 19 साल तक के 22 लाख बच्चों-किशोरों-किशोरियों को खिलाई जाएगी दवा

आगरा, 09 अगस्त 2023
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनपद में 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाएगा। इस दौरान एक से 19 साल तक के 22 लाख बच्चों-किशोरों-किशोरियों को अल्बेंडेजोल की दवा खिलाई जाएगी ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर अभियान भी संचालित होगा। 17 अगस्त तक टीम स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक से 19 साल की उम्र के 22 लाख बच्चे व किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाएगी।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से एक से पांच साल तक के बच्चों को दवा दी जाएगी। जबकि स्वास्थ्य विभाग की टीम स्कूलों में छह से 19 साल तक के बच्चों व किशोरों-किशोरियों को शिक्षकों की मदद से दवा खिलाएंगी। उन्होंने कहा कि यह दवा चबाकर खानी है। टीम दवा अपने सामने खिलाएगी। किसी भी बच्चे या परिजन को दवा बाद में खाने के लिए नहीं दी जाएगी।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉक्टर धर्मेश श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हर साल दो बार पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाती है। पेट में कीडे़ होने के चलते बच्चों-किशोरों में खून की कमी हो जाती है। दरअसल कीड़े पूरा पोषण खा जाते हैं और बच्चे कुपोषण के साथ ही एनीमिया का शिकार भी हो जाते हैं। कृमि के कारण बच्चों और किशोर-किशोरियों का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है।

एसीएमओ ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत एक से पांच साल तक के बच्चों और छह से 19 साल तक स्कूल न जाने वाले बच्चों और घूमंतु व ईंट भट्‌ठों पर काम करने वाले श्रमिकों के बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। छह से 19 साल तक के स्कूल जाने वाले बच्चों को शिक्षकों के माध्यम से और किशोर जुबेनाइल होम में प्रभारी अधीक्षक के माध्यम से पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाएगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक डॉ. विजय सिंह ने बताया कि एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली और दो से 19साल तक बच्चों व किशोरों-किशोरियों को पूरी गोली खिलाई जाएगी। छोटे बच्चों को गोली पीसकर दी जानी है, जबकि बड़े बच्चे गोली चबाकर खा सकेंगे।

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