मोदी सरकार ने देश के कानूनी ढांचे में एक बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में CRPC और IPC से जुड़े नए कानून पेश करने के विधेयक पेश किए हैं, जिन्हें स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाएगा। इसके तहत देश में अब नए कानून लागू किए जाएंगे और कई मामलों में सजा के प्रावधानों को बदला जाएगा। यौन हिंसा से लेकर राजद्रोह तक, देश में इन नए कानूनों के लागू होने से क्या बदल जाएगा।
अमित शाह ने सदन में कहा कि पुराने कानून अंग्रेजों ने अपने अनुसार बनाए थे, जिनका लक्ष्य दंड देना था। हम इन्हें बदल रहे हैं, हमारा मकसद दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है। गृह मंत्री ने साफ किया कि ये सभी बिल स्टैंडिंग कमेटी को भेजे जाएंगे। नए कानून में सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध, दूसरा चैप्टर मानवीय अंगों के साथ होने वाले अपराध का है।
यौन हिंसा के मामले पीड़िता का बयान जरूरी है, पुलिस को 90 दिनों में किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। अगर कोई 7 साल से अधिक का मामला है, तब पीड़ित का बयान लिए बिना वह मामला पुलिस वापस नहीं ले पाएगी। आरोप पत्र दायर करने के लिए जो अभी तक टालमटोल होती थी, ये अब नहीं होगा। पुलिस को अब 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा।
लोकसभा में गृह मंत्री ने जानकारी दी कि घोषित अपराधी की संपत्ति की कुर्की की जाएगी, संगठित अपराध के लिए नया एक्ट जोड़ा जा रहा है। महिलाओं से जुड़े कानून में बदलाव किया गया है।
गलत पहचान बनाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध होगा। गैंगरेप के मामले में 20 या उससे अधिक साल की सजा का प्रावधान है, 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानून में मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल, उम्र कैद और मौत की सजा तक का प्रावधान है।