कुछ समय बाद 6 पहियों वाला रोबोटिक यंत्र ‘रोवर’ लैंडर विक्रम से अलग होकर चांद की सतह पर घूमने लगेगा। विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक लैंडिंग के साथ ही भारत चांद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। लैंडिंग के बाद अब असली मिशन शुरू हो गया है, वैज्ञानिक इस पर जुटे हैं और रोवर को लैंडर से अलग किए जाने की तैयारी की जा रही है।
चंद्रयान-3 तीन मॉड्यूल से बना है, इसमें प्रोप्ल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर हैं, चांद की सतह पर विक्रम लैंडर ने लैंडिंग की है, प्रज्ञान रोवर इसके अंदर है। टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसरो ने मिशन को जिस तरह से डिजाइन किया है उसके मुताबिक विक्रम लैंडर से रोवर के बाहर आने का समय लैंडिंग से ठीक चार घंटे बाद का रखा गया है। यानी ठीक 10 बजे के आसपास प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतर सकता है।
प्रज्ञान रोवर को उतारने के लिए सबसे पहले विक्रम लैंडर का साइड पैनल खोला जाएगा। इससे चांद की सतह तक एक रैंप बन जाएगी। इसी रैंप से छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल उतरेगा। यही हमारा प्रज्ञान रोवर है जो अब चंद्रयान-3 मिशन को अपने दम पर आगे बढ़ाएगा। चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के मिशन डायरेक्टर अन्नादुरई के मुताबिक प्रज्ञान रोवर सबसे पहले उतरकर चांद की सतह पर अशोक स्तंभ बनाएगा। यह एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चांद की सतह पर मूवमेंट करेगा और जानकारियां जुटाएगा। खास बात ये है कि प्रज्ञान चांद पर जितना भी मूवमेंट करेगा वह हर जगह भारत और इसरो की छाप छोड़ता जाएगा।