अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान बताते हैं कि साल 2019 में भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग में ब्रिटेन से आगे निकल सकता है। इससे पहले भारत फ्रांस को पीछे छोड़ छठे स्थान पर पहुंचा था। फिलहाल सकल घरेलू उत्पाद के मामले में आईएमएफ के मुताबिक ब्रिटेन 2018 में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका मूल कारण ब्रिटेन के आर्थिक दबदबे में कमी आना बताया जा रहा है।
आईएमएफ के ये आंकड़े जहां भारत और फ्रांस के लिए सकारात्मक हैं, वहीं ब्रेक्सिट समझौते पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे ब्रिटेन के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
रैंकिंग देने वाली दूसरी बड़ी संस्था पीडब्ल्यूसी में अर्थशास्त्री माइक जेकमैन ने आईएमएफ से पहले ही ब्रिटेन की रैंकिंग गिरने का अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा था कि दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भारत अपने तीव्र विकास दर और बड़ी आबादी के कारण वैश्विक जीडीपी रेस में आगे बढ़ना जारी रखेगा। आईएमएफ और विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि एक दशक पहले तक भारत की जीडीपी फ़्रांस से तकरीबन आधी थी। नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ ठहराव आया था लेकिन इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आई तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिखी है।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी कहा था कि साल 2018 में भारत का विकास 7.4 फीसदी रह सकता है और टैक्स सुधारों और घरेलू खर्च में बढ़ोतरी के चलते 2019 में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी तक पहुंच सकती है। इस दौरान दुनिया की औसत विकास दर के 3.9 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। हालांकि, बाजार विनिमय दर पर जीडीपी का आकलन समग्र आर्थिक कल्याण को मापने का सबसे सटीक तरीका नहीं है। यूं तो भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार पहले ही किसी यूरोपीय अर्थव्यवस्था के मुकाबले दोगुना है जबकि इसका प्रति व्यक्ति जीडीपी बहुत कम है। बताते चलें कि इस रैंकिंग में सबसे पहले नंबर पर अमरीका, उसके बाद चीन, जापान और जर्मनी हैं।