विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर सो रहे हैं, चाँद पर दिन निकलने पर उठकर लगेंगें काम पर

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर स्लीप मोड में चले गए हैं। चाँद पर अभी रात हो गई है तो ये दोनों भी सो गए हैं और अगला दिन निकलने तक सोए रहेंगें। चाँद पर एक दिन हमारे 14 दिन के बराबर होता है अतः हमें तब तक ही प्रतीक्षा करनी होगी।

स्पेस वर्ल्ड में भारत के लिए पिछले कुछ दिन काफी ऐतिहासिक रहे हैं।चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग ने इसरो के सम्मान को और भी बढ़ाया है। चंद्रयान-3 के विक्रम और प्रज्ञान पिछले करीब 12 दिन से लगातार काम कर रहे थे और अब उन्हें स्लीप मोड में डाल दिया गया है। यानी एक तरह से मिशन चंद्रयान-3 अब खत्म हो गया है और दुनिया को चांद के दक्षिणी हिस्से से जितनी जानकारी मिलनी थी वह ISRO के पास हो गई है।

इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान रोवर के सभी असाइनमेंट पूरे हो गए हैं। अब उसे एक सुरक्षित जगह पर पार्क कर दिया गया है और स्लीप मोड में डाल दिया गया है। इस पर लगे APXS और LIBS पेलोड को भी बंद कर दिया गया है। इन दोनों पेलोड में जो डाटा था, उन्हें विक्रम लैंडर के जरिए पृथ्वी पर भेज दिया गया है।

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। चांद पर अगला सूर्योदय 22 सितंबर 2023 को होगा, तब सोलर पैनल को सूरज की किरणें मिलेंगी। हमने रिसीवर ऑन रखा है, उम्मीद है कि ये फिर से उठ पाएगा और नए काम कर पाएगा।

इस छोटे से समय में विक्रम और प्रज्ञान ने भरपूर काम किया है और 100 मीटर का सफर तय किया। इसरो का कहना है कि चांद पर पहुंचने वाले कई मिशन 6-6 महीने में 100-120 मीटर सफर ही तय कर पाते हैं, लेकिन चंद्रयान-3 ने सिर्फ 12 दिन में ही ऐसा किया। चांद का एक दिन भारत के 14 दिन के बराबर होता है, ऐसे में अब 22 सितंबर का इंतजार होगा जब चांद पर सुबह होगी। तब अगर विक्रम-प्रज्ञान कमांड रिसीव कर लेते हैं तो ये अगले 14 दिन के लिए काम कर पाएंगे, अगर ऐसा नहीं होता है तो इनका मिशन यहीं खत्म हो जाएगा।

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