जौहर यूनिवर्सिटी को टेकओवर कर सकती है योगी सरकार

जौहर यूनिवर्सिटी को टेकओवर कर सकती है योगी सरकार। आजमखान ने सपा सरकार में अपने रुतबे का इस्तेमाल करते हुए गैरकानूनी तरीके से ये यूनिवर्सिटी बनाई थी। यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आज़म खान ने सबसे पहले मौलाना अली जौहर ट्रस्ट बनाया। वे खुद इसके संस्थापक और आजीवन अध्यक्ष बन गए। उन्होंने अपनी पत्नी तंजीन फ़ातिमा को सचिव बनाया। आज़म खान ने अपने दोनों बेटों अब्दुल्ला आज़म और अदीब को ट्रस्ट का मेंबर बना दिया।

रामपुर के डीएम की जांच के बाद सरकार ने ये फ़ैसला लिया है। जांच में पाया गया है कि आजम खान ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गैर कानूनी तरीके से जमीन लीज पर ली थी। योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक के बाद इस लीज़ को रद्द कर दिया था।

यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आजम खान ने सबसे पहले मौलाना अली जौहर ट्रस्ट बनाया। वे खुद इसके संस्थापक और आजीवन अध्यक्ष बन गए। उन्होंने अपनी पत्नी तंजीन फ़ातिमा को सचिव बनाया। आज़म खान ने अपने दोनों बेटों अब्दुल्ला आज़म और अदीब को ट्रस्ट का मेंबर बना दिया। उन्होंने छह और अपने करीबी लोगों को भी इस ट्रस्ट में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी के लिए ज़मीन लेने का काम शुरू किया। रामपुर प्रशासन ने कुछ शर्तों के साथ जौहर ट्रस्ट को ज़मीन लेने की अनुमति दी। जानकारी के मुताबिक़ 560 एकड़ ज़मीन में मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी बनाई गई। इसके लिए कुछ ज़मीन किसानों से ली गई। इनमें से कुछ मामले अभी भी अदालत में चल रहे हैं। किसानों का आरोप है कि आज़म खान ने उनसे ज़मीन ज़बरदस्ती सस्ते दाम पर ख़रीद ली थी।कुछ ज़मीन ट्रस्ट ने सरकार से लीज़ पर ली थी।

जांच में पाया गया कि आजमखान ने यूनिवर्सिटी बनाने में सभी नियमों को दरकिनार किया है और यह गैरकानूनी है। रामपुर के कमिश्नर की तरफ से इस अंतरिम आदेश के खिलाफ जल्द से जल्द फैसला लेने की रणनीति पर काम हो रहा है। राजनीतिक रूप से कमजोर हुए आज़म खान के हाथ से यूनिवर्सिटी का जाना सबसे बड़ा झटका होगा।

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