पहले एपल की भारत में एंट्री, अब है टेस्ला की बारी। अब टेस्ला के भारत आने से चीन को लगातार दूसरा झटका लगेगा। चीन की इकोनॉमी की रफ्तार और रोजगार दोनों इन कंपनियों के दम पर थे।अमेरिका के साथ चीन के संबंध और फिर चीन की कोविड पॉलिसी की वजह से एपल ने पहले अपनी राह बदलकर भारत की ओर मोड दी। और अब टेस्ला भारत आने की तैयारी में है।
जानकारों का कहना है कि पीएमओ ने टेस्ला के इंवेस्टमेंट प्रपोजल सहहित देश में ईवी मैन्युफैक्चरिंग के अगले फेज का जायजा लेने के लिए सोमवार को टॉप अधिकारियों के साथ बैठक की है। जानकारों के मुताबिक इस बैठक का एजेंडा पॉलिसी मामलों पर फोकस था, लेकिन देश में टेस्ला के प्रस्तावित निवेश को जनवरी 2024 तक तेजी से मंजूरी देने की बात कही गई है।
पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और पीएम मोदी की मुलाकात भी हुई थी। उसके बाद से कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, हैवी इंडस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्ट्री इलेक्ट्रिक कार मेकर के साथ चर्चा कर रहे हैं। ये डील जनवरी तक इसलिए भी अहम है, क्योंकि गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिकी प्रेसीडेंट जो बाइडन चीफ गेस्ट के तौर पर उपस्थित होंगे।
टेस्ला के सीनियर अधिकारियों ने भारत में कार और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करने की सरकार की योजना पर चर्चा की है। साथ ही ईवी मेकर ने भारत में अपना सप्लाई चेक इकोसिस्टम लाने को भी कहा है। जानकारी के मुताबिक मंत्रालयों और सरकारी विभागों को टेस्ला के साथ किसी भी तरह के मतभेद को दूर करने को कहा है।
टेस्ला को भारत में लाने और उसकी इस बात को मानने के लिए सरकार अपनी ईवी पॉलिसी में भी बदलाव कर सकती है। इसके लिए इस पॉलिसी में एक नई कैटेगिरी की भी घोषणा का ऐलान हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि इस नई कैटेगिरी को लाने का मतलब ये नहीं है कि ये सिर्फ टेस्ला के लिए ही किया जा रहा है, बल्कि दुनिया की कोई ईवी मेकर जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग लगाना चाहती है तो उसे इस सुविधा का लाभ मिलेगा।
टेस्ला भारत को अपना नेक्स्ट मार्केट बनाना चाहता है। साथ ही यही मैन्यफैक्चरिंग यूनिट लगाकर एशिया और साउथ एशियाई मार्केट को साधना चाहता है। वहीं दूसरी ओर चीन से टेस्ला एग्जिट करता है तो उसे भी बड़ा झटका लग सकता है।